हुकमचंद मिल मजदूरों का पैसा देने के साथ ही जमीन का उपयोग नगर निगम द्वारा करने का प्रस्ताव एमआइसी से स्वीकृत हो चुका है। अब नगर निगम इस जमीन पर सिटी फॉरेस्ट के साथ ही आइटी पार्क भी बनाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि ये आइटी पार्क नगर निगम नहीं बनाएगी। इसके लिए अन्य कंपनियों से निगम एमओयू करते हुए उन्हें जमीन उपलब्ध कराएगी।
हुकमचंद मिल की लगभग 43 एकड़ जमीन के बदले निगम मजदूरों का 229 करोड़ रुपए चुकाने को तैयार है। वहीं इस पैसे को देने के साथ ही नगर निगम इस जमीन का उपयोग इस तरह से करना चाहता है जिससे वो जो पैसा लगा रही है वो भी मिल जाए और जमीन का शहर के हित में भी उपयोग हो जाए। निगम ने इसका प्रस्ताव भी बनाना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि नगर निगम मजदूरों को पैसा देने के लिए जमीन के आधे हिस्से को आइटी कंपनियों को आइटी पार्क बनाने के लिए देगी जबकि आधी जमीन को सिटी फॉरेस्ट के लिए रखेगी। जिस पर सघन पौधरोपण करते हुए यहां घने पेड़ों को लगाया जाएगा। जो कि शहर में ऑक्सीजन के बड़े केंद्र के तौर पर विकसित होंगे। वहीं आइटी पार्क को निगम लीज पर या फिर बीओटी पर जमीन उपलब्ध कराएगी। कंपनी जमीन के बदले जो पैसा देगी, उससे ही मजदूरों को उनकी बकाया राशि चुकाई जाएगी।
रोजगार की जगह के लिए रखी थी बात
एमआइसी की बैठक के दौरान विद्युत विभाग के प्रभारी और क्षेत्रीय पार्षद जीतू यादव ने मिल के मजदूरों को पैसा देने के लिए कोशिश करने की बात रखी थी। साथ ही उन्होने इस जमीन का उपयोग शहर में रोजगार देने के लिए करने के लिए कहा था।
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पार्षदों के लिए बनाएंगे प्रेजेंटेशन
नगम इस जमीन की कानूनी दिक्कतों को कैसे खत्म करेगा, मजदूरों को पैसा किस तरह से दिया जाएगा। इस सबके लिए एक प्रेजेंटेशन तैयार करवा रहा है। बताया जा रहा है कि ये प्रेजेंटेशन पार्षदों को दिखाने की भी तैयारी की जा रही है।
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