लोग या तो टमाटर खरीद नहीं रहे हैं या फिर कम मात्रा से काम चला रहे हैं। इससे बाजार में टमाटर की डिमांड भी कम हुई है। इसका असर कीमत पर दिख रहा है। सप्ताहभर पहले तक जो टमाटर खुले बाजार में 120 से 140 रुपए किलो में बिक रहा था, वह अब 80 से 90 रुपए किलो तक उतर गया है। इस तरह करीब 40 से 50 रुपए कीमत घटी है।
प्रदेश में टमाटर की खेती के लिहाज से इस समय ऑफ सीजन चल रहा है। लोकल बाड़ियां उजड़ गई हैं। ऐसे में लोकल टमाटर की आवक नहीं हो रही है और पूरा बाजार दूसरे प्रदेशों की सप्लाई पर निर्भर हो गया है। दूसरे प्रदेशों में भी टमाटर की खेती की स्थिति ठीक नहीं है। सामान्य सीजन में जिले में टमाटर की अधिकतर सप्लाई महाराष्ट्र के शहरों से होती है, लेकिन वहां भी इस बार फसल खराब रही।
इसके कारण जहां पैदावार कम है, वहीं क्वालिटी भी ठीक नहीं है। ऐसे में महीनेभर से केवल बेंगलुरू से ही बेहद कम मात्रा में टमाटर की आवक हो रही थी। अब बेंगलुरू के अलावा कर्नाटक के कोलार और चिंतामणी से भी टमाटर की आवक हो रही है। हालांकि यह अभी भी सामान्य जरूरत के अनुरूप नहीं है, फिर भी कीमत में थोड़ी राहत मिली है।
बाजार में टमाटर की आवक डिमांड के अनुरूप नहीं हो रही है। बेंगलुरू से टमाटर बेहद सीमित मात्रा में आ रहा है। हालांकि इस बीच कोलार और चिंतामणी से भी आवक शुरू हुई। इससे कीमत कुछ घटी है, लेकिन अभी ज्यादा राहत की संभावना कम है। महाराष्ट्र से आवक के बाद और इसके बाद अगस्त में लोकल फसल की आवक के साथ स्थिति सुधरने की संभावना है। डिमांड कम होने से भी फिलहाल रेट कम हुआ है। आवाक बढ़ने से राहत मिलेगी।
नासिर खोखर, अध्यक्षदुर्ग थोक व चिल्हर व्यापारी संघ सामान्य सीजन में दुर्ग-भिलाई में 18 से 20 हजार कैरेट टमाटर पहुंचता है। इस समय करीब एक चौथाई यानी 4000 से 5000 कैरेट पहुंच रहा है। इससे कीमत में आंशिक राहत मिली है। व्यापारियों की मानें तो नासिक और नारायण गांव से आवक के पहले कीमत में ज्यादा राहत की संभावना कम है।
नर्सरी में तैयारी हो रही टमाटर के पौधे।