scriptबस्तर में 70 हजार साल पुरानी मानव सभ्यत के प्रमाण मिले | Evidence of 70 thousand years old human civilization found in Bastar | Patrika News

बस्तर में 70 हजार साल पुरानी मानव सभ्यत के प्रमाण मिले

बस्तर के प्रागैतिहासिक काल के अब तक ज्ञात इतिहास में अब एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। इसमें यह पता चला है कि बस्तर में अब से 70 हजार साल पहले से मानव की एक सभ्यता विकसित हुई थी। केशकाल के पास की पहाड़ी में शैल चित्र मिले हैं। इनमें सामूहिक शिकार, परिवार व हथेली के चिन्ह साफ नजर आ रहे हैं।

Apr 05, 2024 / 09:01 pm

Ajay Shrivastav

इन उपकरण को कार्बन डेटिंग करने विभिन्न लैब भेजनें वाला है

इन उपकरण को कार्बन डेटिंग करने विभिन्न लैब भेजनें वाला है

अजय श्रीवास्तव। बस्तर के प्रागैतिहासिक काल के अब तक ज्ञात इतिहास में अब एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। इस नए अध्याय के जुड़ जाने के बाद बेहद चौंकाने वाले नतीजे सामने आने वाले हैँ। इसमें यह पता चला है कि बस्तर में अब से 70 हजार साल पहले से मानव की एक सभ्यता विकसित हुई थी। यह जानकारी क्षेत्रीय कार्यालय मानव विज्ञान सर्वेक्षण व शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के एंथ्रापॉलाजी विभाग ने पांच साल की अथक मेहनत से जुटाए हैं। इनमें पाषाणकालीन औजार, हथियार व उपयोग में लाए जाने वाले उपकरण शामिल हैं। जानकारों ने बताया कि इस खोज से यह साबित हो गया है कि बस्तर के अबूझ इलाकों में तीस से 70 हजार साल पहले एक मानव सभ्यता अ स्तित्व में थी।
पांच साल तक शोधा र्थियों ने अबूझमाड़, बीजापुर, सुकमा, बारसूर व दंतेवाड़ा से गुजरने वाली प्रमुख नदियों के आसपास खोज अ भियान को फोकस किया था। शुरुआत अबूझमाड़ से हुई। यहां पाषाणकालीन उपकरण के मिलते ही इन्होंने उसके सामंजस्य व अन्य विवरण जुटाने पूरे बस्तर का दौरा किया। इन्हें दो दर्जन से अ धिक जगह पर एक जैसे उपकरण, औजार व ह थियार मिले। यह सभी हस्तचलित थे व इनका बहुतायत से उपयोग इस सभ्यता ने किया था।
कार्बन डेटिँग से निर्धारित होगा कालखंड: शोधा र्थियों ने चिन्हित जगहों से कई उपयोगी पत्थरों को निकाला। मानक स्तर पर इन्हें परखा फिर इनकी केटेगरी निर्धारित की गई है। मानव सर्वेक्षण विभाग अब इन उपकरण को कार्बन डेटिंग करने विभिन्न लैब भेजनें वाला है। जिससे इनके कालखंड का सटीक अनुमान लगेगा। इस टीम में शामिल विवि में एंथ्रोपालाजी की सहायक प्राध्यापक डा सुकृता तिर्की ने बताया कि प्रमुख जलस्त्रोत से हमने चाकू, छीलन, छेद करने वाले औजार, तीर की नोंक, ग्राइंडिंग वाले पत्थर प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा केशकाल के पास की पहाड़ी में शैल चित्र मिले हैं। इनमें सामूहिक शिकार, परिवार व हथेली के चिन्ह साफ नजर आ रहे हैं। कार्यालय प्रमुख्, मानव विज्ञान सर्वेक्षण डा पीयुष रंजन साहू ने बताया कि बस्तर के कई जगहों से हमने पाषाण के नमूनों का संग्रह किया है।

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