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प्रसिद्ध अधिवक्ता कार्तिक नवयान ने पत्रिका को बताया कि अब जब आरोपी नहीं बचे, तो रेप और मर्डर के केस की फाइल बंद कर दी जाएगी। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत शुक्रवार के एनकाउंटर की एफआइआर दर्ज होना भी आवश्यक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश की कभी पालना नहीं की जाती।
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सिविल लिबर्टीज मॉनिटरिंग कमिटी के प्रवक्ता लतीफ खान के अनुसार चारों आरोपियों की फाइल बंद हो जाएगी, लेकिन अगर पीड़ित के परिवार वाले किसी पहलू को लेकर केस की फिर से जांच कराना चाहेंगे, तो असल केस की फाइल पर अगली जांच जारी रहेगी। मानवाधिकार आयोग के बारे में उन्होंने कहा कि आयोग अपनी स्वतंत्र जांच कराएगा, लेकिन वे तेलंगाना पुलिस पर एफआरआर दर्ज नहीं करा सकता।
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एनकाउंटर की दर्ज होनी चाहिए एफआईआर…
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पत्रिका को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर प्रकार के एनकाउंटर की एफआईआर दर्ज होना आवश्यक है। सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की डॉ. लुबाना ने बताया कि मौका-ए-वारदात पर रिक्रिएशन सीन का पूरा वीडियो रिकॉर्ड करना चाहिए था और तेलंगाना पुलिस को पूरे मामले में पारदर्शिता दिखाने की आवश्यकता है।