केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में भारत वन स्थिति रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देश भर में अलग-अलग जगहों पर हुई जंगल में आग लगने की घटनाओं के आंकड़े शामिल हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022-23 में जिले में 2,162 और 2023-24 में 436 जंगल में आग लगने के मामले सामने आए हैं। पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील पश्चिमी घाटों सहित जिले में जंगल में आग की घटनाओं में वृद्धि ने पर्यावरणविदों के बीच भी चिंता पैदा कर दी है। जनवरी से मई के अंत तक जिले के विभिन्न हिस्सों में अक्सर जंगल में आग लगती है। दो वर्षों में जंगल की आग से सैकड़ों हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है।
2023 की गर्मियों में भीषण सूखे के बाद 2023 में राज्य के वन क्षेत्रों में 14 हजार से अधिक आग लगने की घटनाएं हुईं। इनमें से दो हजार से अधिक मामले केनरा वन सर्कल से थे। हलियाल, मुंडगोड और सिरसी तालुकों की सीमा पर स्थित जंगलों में आग लगने के मामलों की संख्या अधिक थी, जो अर्ध-मालेनाड क्षेत्र का हिस्सा हैं। धारवाड़ और हावेरी जिलों की सीमा पर जंगल में आग लगने की घटनाओं की संख्या भी अधिक रही और इसका असर जिले में भी देखने को मिला। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जंगल में आग लगने से रोकने के लिए एहतियाती उपाय के तौर पर अस्थाई रूप से फायर वॉचर्स तैनात कर रहे हैं। जंगलों के चारों ओर फायर लाइन खींची जा रही है और यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त एहतियात बरती जा रही है कि सूखी घास और पत्तियां आग न पकड़ें।