विश्नोई समाज के लोगों ने कहा कि विश्नोई पंथ में हवन का अत्यधिक महत्व है। समाज के प्रत्येक संस्कार पर हवन होता है। गुरु जाम्भोजी ने उनतीस नियमों में ‘नित्य हवनÓ करने के नियम को सम्मिलित किया है। इसके साथ-साथ शब्दवाणी में भी हवन के महत्व को प्रकट किया है और हवन न करने को मनुष्य का बड़ा अपराध माना है। हवन के सम्पूर्ण होने पर धूप मंत्र बोला जाता है। हवन के इस महत्व के पीछे एक कारण यह भी है कि पंथ में हवन की ज्योति में गुरु जाम्भोजी के दर्शन माने जाते है।
विश्नोई समाज के श्रीराम जाणी झाब ने बताया कि हवन का आधार केवल आध्यात्मिक नहीं है अपितु इसके साथ-साथ इसका आधार वैज्ञानिक भी है। आज विज्ञान ने भी हवन के महत्व को स्वीकार कर लिया है। पर्यावरण को शुद्ध रखने में भी हवन का सर्वाधिक योगदान है। हवन से प्रदूषण नष्ट हो जाता है और सम्पूर्ण वातावरण शुद्ध हो जाता है। विश्नोई पंथ में प्रतिदिन जो घरों में हवन होता है उससे घर का वातावरण शुद्ध रहता है और मन्दिरों में होने वाले सामूहिक हवन से समाज का वातावरण शुद्ध रहता है।
इस अवसर पर विश्नोई समाज के श्रीराम जाणी झाब, ओमप्रकाश डारा रामजी का गोल, नरेश साहू चौरा, गणपत सारण करावड़ी, ओमप्रकाश भाम्भू रामजी का गोल, विश्नोई समाज युवा मंडल के अध्यक्ष रामलाल विश्नोई, चेतन पंवार मालवाड़ा, गंगाराम झोदगण, दिनेश सारण जानवी, भगवानराम कड़वासरा चौरा, प्रवीण मांजू चितलवाना, जगदीश नैण लालपुरा, रौनक पंवार मालवाड़ा, जयदीप सारण जानवी समेत समाज के अन्य लोग हवन में बैठे और आहूतियां दीं।