विश्नोई समाज के सांचौर जिले के झाब निवासी श्रीराम जाणी ने कहा, वन्य प्राणियों की रक्षा में हमेशा तत्पर रहने वाला विश्नोई समाज पर्यावरणप्रेमी है। पर्यावरण से खास लगाव के चलते ही पेड़-पौधों की रक्षा में भी सदैव हाथ बंटाता रहा है। प्रवासी भले ही दक्षिण एवं अन्य प्रांतों में बिजनस कर रहे हैं लेकिन जब भी गांव आते हैं प्रकृति की गोद में खो जाते हैं। अमृता देवी का बलिदान और विश्नोई समाज का पर्यावरण के लिए बलिदान विश्नोई समाज के लिए गर्व का विषय है। विश्नोई समाज के लोग देश-दुनिया में जहां भी हैं पर्यावरण के प्रति उनमें विशेष स्नेह हैं।
चौरा निवासी भगवानाराम कड़वासरा ने कहा, पिछले दिनों राजस्थान में भीलड़ी-समदड़ी मार्ग पर रेलवे लाइन के दोहरीकरण के लिए रास्ते में आ रहे खेजड़ी के वृक्ष को काटने का फरमान जारी किया गया। जिसका विश्नोई समाज ने विरोध किया है। विश्नोई समाज प्राचीन समय से ही वन्य जीव प्रेमी रहा है। वन्य जीवों की हत्या किसी भी सूरत में होने नहीं देता। वन्य जीवों को अपने परिवार के सदस्यों की तरह पालन करता है। यही वजह है कि जहां विश्नोई बाहुल्य इलाके हैं वहां हिरण एवं अन्य वन्य जीव स्वच्छंद रूप से विचरण करते नजर आते हैं।
विश्नोई समाज युवा मंडल के अध्यक्ष रामलाल विश्नोई रामजी का गोल ने कहा कि भविष्य में भी हम इसी तरह पौधे लगाने के कार्य में सहभागी बनेंगे। आज भी विश्नोई समुदाय में पेड़-पौधों एवं वन्य जीव-जंतुओं की रक्षा का भाव कूट-कूट कर भरा है। हिरणों को हम वन्य जीव की तरह नहीं बल्कि घरेलु सदस्य की तरह पालन करते आ रहे हैं। हमारे विश्नोई समाज के 29 नियमों में यह भी शामिल है। पर्यावरण व प्रकृति का विशेष ध्यान रखते हैं।
इस अवसर पर ओमप्रकाश डारा रामजी का गोल, नरेश साहू चौरा, गणपत सारण करावड़ी, ओमप्रकाश भाम्भू रामजी का गोल, चेतन पंवार मालवाड़ा, गंगाराम झोदगण, दिनेश सारण जानवी, प्रवीण मांजू चितलवाना, जगदीश नैण लालपुरा, रौनक पंवार मालवाड़ा, जयदीप सारण जानवी समेत विश्नोई समाज के लोगों ने पौधरोपण करने के साथ ही पौधों के रखरखाव का संकल्प दोहराया।