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प्रकृति प्रेम से लेकर जीवों की रक्षा के लिए दुुनिया भर में दी जाती हैं विश्नोई समाज की मिसाल

वन्य जीव संरक्षण दिवस पर विशेष: गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाएं वन्यजीवों और वनस्पतियों की सुरक्षा और संरक्षण पर जोर देती है

हुबलीDec 03, 2024 / 03:25 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

हुब्बल्ली प्रवासी सांचौर जिले के करावड़ी निवासी रामलाल सारण

विलुप्त होने के कगार पर खड़ी प्रजातियों के बारे में जागरुकता पैदा करने एवं उन्हें बचाने की कवायद के तहत हर साल 4 दिसंबर को विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस मनाया जाता है। शिकार, तस्करी और अन्य पर्यावरणीय कारकों के कारण लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने की दिशा में काम किया जाता है। वन्य जीवों के लुप्त होने से शहर और गांवों की स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को भयंकर नुकसान होता है। जब इतने सारे वन्यजीव खत्म हो जाते हैं कि वे वन्यजीव पर्यटन स्थलों के रूप में अप्रासंगिक हो जाते हैं। यह वैश्विक अवसर सभी को वन्यजीव संरक्षण के बारे में अधिक जानने और वन्यजीव अपराध के समाधान का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करता है। विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस के दिन हाथियों, गैंडों और बाघों जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण और सुरक्षा के बारे में जागरुकता बढ़ाने का काम किया जाना चाहिए।
विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस का इतिहास
वर्ष 2012 में अमरीका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने 4 दिसम्बर को वन्यजीव संरक्षण दिवस पर जागरुकता बढ़ाने तथा संरक्षणवादियों को शामिल करने के लिए कार्रवाई का आह्वान किया था। क्लिंटन ने वन्यजीव तस्करी की वैश्विक समस्या से निपटने के लिए रणनीति की रूपरेखा तैयार की। उन्होंने कहा था कि वन्यजीवों को निर्मित नहीं किया जा सकता और एक बार जब वे खत्म हो जाते हैं, तो उन्हें फिर से नहीं बनाया जा सकता। जो लोग अवैध रूप से इससे लाभ कमाते हैं, वे न केवल हमारी सीमाओं और हमारी अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं, बल्कि वे वास्तव में अगली पीढ़ी से चोरी कर रहे हैं।
अपने बच्चों की तरह हिरणों को पालती है विश्नोई समाज की महिलाएं
हुब्बल्ली (कर्नाटक) प्रवासी राजस्थान के सांचौर जिले के करावड़ी निवासी रामलाल सारण कहते हैं, विश्नोई समाज प्रकृति संरक्षण के लिए जाना जाता है। इस समाज के लोग प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति गहरा सम्मान रखते हैं। जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए अपनी जान तक न्योछावर करने को तैयार रहते हैं। प्रकृति प्रेम से लेकर जीवों की रक्षा के लिए विश्नोई समाज की मिसाल दुनियाभर में दी जाती है। गुरु जम्भेश्वर की शिक्षाएं वन्यजीवों और वनस्पतियों की सुरक्षा और संरक्षण पर जोर देती हैं। विश्नोई संप्रदाय के 29 नियमों के सिद्धांतों में से एक पेड़ों और जीवों की सुरक्षा की वकालत करता है। हम जीवों की रक्षा के लिए मरने के लिए भी तैयार हैं। हमारे समाज की महिलाएं हिरणों को अपने बच्चों की तरह पालती हैं। सभी जीवों के लिए विश्नोई समाज हमेशा समर्पित रहता है। हिरण जिसका सबसे ज्यादा शिकार होता है, वह जीव इतना भोला-भाला है कि किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. इसको मारते है तो हमे बुरा लगता है। विश्नोई समाज की अमृता देवी और अन्य लोगों ने पेड़ों की रक्षा के लिए उनसे लिपटकर प्रतिरोध का साहसी कार्य किया था।

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