दिया जैन कहती हैं, जब में 15 वर्ष की थी तब मैंने मेरे ऊपर ही एक उद्धरण लिखा। इसी से मेरे मन में लिखने की प्रेरणा जगी और एक पुस्तक लिख डाली। मैंने कई उपन्यास पढ़े। हालांकि शुरुआती दौर में मुझे पुस्तक लेखन के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। एक बार मैंने मित्रता पर एक कविता लिखी और इसे अपने मित्रों को भेजी। मेरी कविता को खूब सराहना मिली। इससे मेरा हौसला बढ़ा। फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। लगातार लिखती चली गई।
वे कहती हैं, बीच में एक समय ऐसा भी आया कि कुछ समय के लिए मैंने लिखना बन्द कर दिया। लेकिन एक दिन एक अजनबी ने मुझे फिर से प्रोत्साहित किया। इसके बाद फिर से लिखना शुरू किया और आखिर एक किताब प्रकाशित कर दी। लविंग दि अनलवेबल पुस्तक प्यार एवं रिश्तों के बारे में है।
दिया जैन कहती हैं,मेरे दिमाग में जो भी विचार आते हैं, उन्हें मैं लेखन के जरिए कागज पर अपनी अभिव्यक्ति दे देती हूं। दिया मूल रूप से राजस्थान के जालोर जिले के चौराऊ की रहने वाली है। दिया के पिता हरीश जैन तथा माता रेखा जैन है। दिया ने रोटरी अंग्रेजी माध्यम स्कूल से पढ़ाई के बाद जैन डिग्री कॉलेज हुब्बल्ली से मार्केङ्क्षटग स्पेशलाइजेशन में स्नातक किया हैं।