सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले
0-निवेश स्कीम/ पार्ट टाइम जॉब0-अवैध लोन एप
0-कस्टमर केयर नंबर
0-अकाउंट टेकओवर
0-सेक्सटॉर्शन
4 मामलों से समझिए ठगी के तरीके
1- 51 लाख की ठगी से हाउस अरेस्ट: ग्वालियर की रिटायर्ड शिक्षिका आशा भटनागर को 14 मार्च को मुंबई क्राइम ब्रांच के नाम से डराकर 51 लाख रुपए ठगे। आशा को दो दिन हाउस अरेस्ट रखा। आशा ने कहा-किसी ने फोन पर उनके आधार कार्ड से जारी सिम से बच्चियों को अश्लील मैसेज भेजने के लिए उन पर मुंबई क्राइम ब्रांच में 24 एफआइआर दर्ज बताई। आपने ऐसा अपराध नहीं किया तो ऑनलाइन एफआइआर कराएं।साइबर पुलिस को स्मार्ट बनाने 750 करोड़ का प्रोजेक्ट अधर में लटका
साइबर अपराधियों से निपटने के लिए 750 करोड़ का प्रोजेक्ट तीन साल पहले तैयार किया था। यह अभी कागजों में है। दरअसल इस प्रोजेक्ट के तहत पांच करण बनाए गए थे। जिसमें 150 करोड़ प्रत्येक चरण में खर्च होने थे। पोर्टल की प्लानिंग से लेकर डायल 100 की तर्ज पर क्विक रेस्पॉन्स टीम बनाने तक की योजना थी लेकिन दुर्भाग्य से वो टीम अभी भी कागजों में दौड़ रही है।प्रदेश का आंकड़ा
0-प्रदेशभर में पिछले दो माह में डिजिटल अरेस्ट केस : 35 0-भोपाल में डिजिटल अरेस्ट से दो माह में ठगी: 5 करोड़ रुपए से ज्यादा 0-इंदौर में दो से ढाई माह में साइबर फ्रॉड से नुकसान: क्र 2.5 करोड़ रुपएजानिए…आखिर क्यों सायबर ठगों से पीछे है पुलिस
0-प्रदेश पुलिस में आधे से अधिक पुलिस जवान तकनीकी में उतने दक्ष नहीं हैं।साइबर फ्रॉड से बचने बरतें ये सावधानी
0-किसी भी लिंक को साझा या ओटीपी को शेयर नहीं करें।लें पुलिस की मदद
नेशनल क्राइम हेल्पलाइन– 1930देशभर का आंकड़ा
10 करोड़: प्रतिदिन साइबर ठगी से नुकसान 10319 करोड़: 3 साल में साइबर क्राइम से नुकसानसावधानी में ही सुरक्षा
साइबर फ्रॉड से बचने का लोगों को यही मूलमंत्र है कि अपनी पर्सनल जानकारी कभी किसी से साझा नहीं करें। क्योंकि साइबर अपराधी सिर्फ मौका तलाशते हैं। कभी ओटीपी फ्रॉड के जरिए तो कभी त्यौहारी सीजन आते ही फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी। कुलमिलाकर यदि स्मार्टफोन यूजर्स सावधान रहें तो कभी ऐसी घटना ही नहीं हो। लेकिन फिर भी कभी आप साइबर फ्रॉड का शिकार हो भी जाएं तो तत्काल पुलिस की मदद लें।-यूसुफ कुरैशी, डीआइजी, राज्य साइबर सेल
एक्सपर्ट कमेंट
सायबर हमलों से घबराएं नहीं, बल्कि सतर्क रहें
डिजिटल हाइजीन का जितना आप ख्याल रखेंगे उतना ही आप सुरक्षित रहेंगे। फाइनेंस से संबंधित कॉल को अच्छी तरह से सत्यापित करें। बैंकिंग डिटेल चाहे कोई कितना भी विश्वसनीय हो उससे साझा न करें। सायबर फ्रॉड का सबसे अधिक खतरा अज्ञात मोबाइल ऐह्रश्वस, वेबसाइट से होता है। बहुत सी कंपनियां डिस्काउंट व कैशबैक की लालच देकर लिंक भेजती हैं, ऐसे लिंक से आपका डेटा चोरी हो जाता है। अपने फोन और लैपटॉप को सुरक्षित वाई-फाई से ही जोड़ें।-इशिता निमजे, सायबर एक्सपर्ट
इधर जबलपुर में 4 साल में करोड़ की रिकवरी
जबलपुर जिले में साइबर ठगी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। सालभर में साइबर ठग लोगों को दो से तीन करोड़ रुपए की चपत लगा देते हैं। यदि समय रहते पीडि़त स्टेट पुलिस और जिला साइबर सेल के पास पहुंच जाता है, तो पुलिस उसके अकाउंट से गई राशि को फ्रीज कराकर पीडि़त को वापस करने का प्रयास करती है। पिछले सालों में जिला पुलिस की साइबर सेल द्वारा साइबर ठगी का शिकार हुए लोगों की लगभग एक करोड़ 42 लाख रुपए से अधिक की राशि वापस कराई गई।24 घंटे होते हैं अहम
पुलिस के अनुसार यदि कोई साइबर ठगी का शिकार हो जाता है, तो ठगी गई रकम वापस पाने के लिए पीडि़त के पास अगले 24 घंटे अहम होते है। जानकारी के अनुसार प्रतिदिन शाम के वक्त बैंक द्वारा ट्रांजेक्शन का सेटलमेन्ट किया जाता है, जिसके बाद यह राशि दूसरे खाते में जाती है। यदि इसके पहले पीडि़त पुलिस के पास पहुंच जाता है, तो पुलिस बैंक में यह राशि फ्रीज करा देती है। कई बार ऐसा भी होता है कि रकम ट्रांसफर होने के बाद भी दूसरे अकाउंट से रकम वापस बुला ली जाती है।वापस कराई रकम
2021: 36,06,610 रुपए2022: 35,46,000 रुपए
2023: 53,94,252 रुपए
2024: 75,84,345 रुपए
(सायबर सेल के अनुसार) साइबर फ्रॉड के प्रतिवर्ष 350 से अधिक मामले आते हैं। इनमें 2-3 करोड़ प्रतिवर्ष ठग ऐंठ लेते हैं। दो साल पहले नया सर्कुलर आ गया, जिसमें दो लाख या उससे अधिक की ठगी के मामलों की जांच स्टेट साइबर सेल करती है। ठगी का शिकार व्यक्ति यदि 24 घंटे में पुलिस के पास पहुंच जाता है, तो उनकी राशि वापस आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
-सूर्यकांत शर्मा, एएसपी जबलपुर