कॉलेज में दाखिला हुआ। दाखिले के लिए BVB College of Engineering and Technology के प्रिंसिपल ने सुधा के सामने 3 शर्तें रखीं। पहली शर्त थी कि उन्हें ग्रेजुएशन खत्म होने तक साड़ी में ही आना होगा, दूसरी शर्त कैंटीन नहीं जाता और तीसरी शर्त थी कि सुधा कॉलेज के लड़कों से बात नहीं करेंगी।
सुधा (Sudha Murty) ने एक TV शो में बताया था कि पहली दो शर्तें तो पूरी हो गईं लेकिन तीसरी शर्त खुद उनके कॉलेज के लड़कों ने पूरी नहीं होने दी। जैसे ही सुधा ने फर्स्ट ईयर में टॉप किया, सारे लड़के खुद उनसे बात करने आने लगे।
सुधा (Sudha Murty) ने शो में बताया था कि 600 की स्ट्रेंग्थ वाले कॉलेज में 599 लड़कों के बीच वे अकेली लड़की थीं। ऐसे में कॉलेज में टॉयलेट भी लड़कों के लिए ही था। जैसे-तैसे उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी । उनके ***** दर्द का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं जैसे इंफोसिस शुरू हुआ वो सबसे पहले देशभर में 16 हजार से अधिक टॉयलेट बनवाए। ताकि किसी और सुधा को दिक्कत ना हो।
इंफ़ोसिस (Infosys) का नाम सुनते ही एन आर नारायणमूर्ति (NR Narayana Murthy) का नाम सबके दिमाग में आता है। नारायणमूर्ति (NR Narayana Murthy) ही वो शख्स हैं जिसके वजह से आज इन्फोसिस (Infosys) को भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया की टाॅप IT कंपनियों में गिना जाता है। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते हैं कि इस कंपनी को किसके पैसों से बनाया गया है।
दरअसल, नारायण की पत्नी सुधा मूर्ति तब टाटा इंडस्ट्रीज में काम करती थी। सुधा टाटा में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर थी। उन्होंने 10,000 रुपये जोड़ कर नारायणमूर्ति (NR Narayana Murthy) को दिए। जिससे उन्होंने इस कंपनी को शुरू किया था। जो अब पूरी दुनिया में झंडे गाड़ रही है।
बता दें इंजीनियर के साथ-साथ सुधा एक अच्छी लेखिका भी हैं। साल 2006 में अपनी समाजसेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मामित किया गया था।