ये कुप्रथा मध्य प्रदेश और गुजरात दोनों ही जगह आज भी चलन में हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश के शिवपुरी गाँव में ‘धड़ीचा प्रथा’ काफी प्रचलित है। यहाँ हर साल बकायदे एक मंडी लगाई जाती है जहां लड़कियों की बोली लगाई जाती है। यहाँ पुरुष किसी भी महिला को चाहे वो किसी की बीवी या बेटी ही क्यों न हो उसे अपनी बीवी के तौर पर किराये पर ले सकते हैं।
जब मध्य प्रदेश के इस इलाके में मंडी लगती है तो खरीदार पुरुष दूर-दूर से यहाँ पत्नी खरीदने या किराये पर लेने के लिए आते हैं। इसके लिए 10 रुपये से 100 रुपये के एक स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट भी होता है। इसके तहत एक साल या उससे अधिक समय के लिए महिला को अपने पास रखने के लिए पुरुष को तय रकम देनी पड़ती है और उतने समय के लिए लड़की उसके पास रहती है। इसके बाद वो उसे वापस छोड़ देता है।
महिला का क्या कसूर ? जो कंधे पर पति को बैठाकर पूरे गांव में घुमाया
जिस महिला को पुरुष खरीदता या बोली लगाता है तो वो लड़की के घरवालों को पहले एक तय रकम देता है जो 500 से 50 हजार रुपये तक के बीच हो सकती है। डील हो जाने के बाद ये आवश्यक है कि वो पुरुष उस महिला से शादी करे और तय वक्त तक वो महिला बीवियों वाली सभी जिम्मेदारियाँ निभाती है। जब ये एग्रीमेंट खत्म होता है तब वो पुरुष पैसे देकर उसे आगे बढ़ा सकता है और उसी महिला के साथ रह सकता है। हालांकि, महिला चाहे तो वो ये एग्रीमेंट तोड़ सकती है, लेकिन इसके लिए उसे तय रकम अपने पति को लौटानी होगी।
ये ‘धड़ीचा प्रथा’ गुजरात के भी कुछ गांवों में है। यहाँ भी दूसरों की बीवी की बोलियाँ लगाई जाती हैं। ये कुप्रथा किसी अभिशाप से कम नहीं है। इसे रोकने के लिए प्रशासन ने कई सख्त कदम उठा चुका है, लेकिन आज भी चोरी छिपे ये जारी है। इसके खिलाफ किसी ने भी आवाज उठाने की कोशिश नहीं की। यहाँ तक खुद महिलायें भी खुलकर इसपर नहीं बोलती हैं।
इस कुप्रथा के पीछे का कारण इन इलाकों में महिलाओं की कम होती जनसंख्या है। इस गाँव में लड़कियों की काफी कमी है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ के लोग लड़की पैदा होते ही उसे मार देते हैं तो कुछ अपना घर चलाने के लिए उसे किराये पर दे देते हैं। ऐसे में अपनी जरूरत के हिसाब से यहाँ महिलाओं की बोली हर साल लगाई जाती है। फिर भी सवाल तो उठते हैं कि न जाने कब ये कुप्रथा समाप्त होगी और इन महिलाओं को इससे मुक्ति मिलेगी।