सबसे बड़ा आश्चर्य तो वहां के स्टाफ को हुआ। विधायक को देखकर उन्हें लगा कि वह परीक्षा व्यवस्था का मुआयना करने आई है, परन्तु जब उनके एग्जाम देने की बात पता चली तो वहां मौजूद हर कोई अचरच में पड़ गया। उल्लेखनीय है कि राम बाई की गिनती तेजतर्रार विधायकों में होती है।
जब इस बारे में विधायक राम बाई से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा इस बात की मन में पीड़ा रहती थी कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई, इस पीड़ा को मेरी बेटी ने समझा और वर्षों पहले अधूरी छूटी पढ़ाई को पूरा करने के लिए कहा। वर्तमान में तो बेटी ही गुरु बन गई है। मैं दसवीं के पेपर दे रही हूं और परीक्षा पास करने के लिए घंटों पढ़ाई भी करती हूं, यह बेटी की वजह से हो पा रहा है।