महज छह वर्ष की उम्र में उन्हें अपने शहर की टीम में जगह मिल गई थी। यह वह समय था, जब उनके पास प्रेक्टिस के लिए न स्पोट्र्स शूज थे, न ही हॉकी स्टिक लेकिन शाहाबाद हॉकी एकेडमी में कोच बलदेव सिंह की ट्रेनिंग ने उनकी प्रतिभा को निखार दिया। 14 साल की उम्र में रानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू किया।
जब वह 15 साल की थी, तब वह टीम में सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थी, जिसने 2010 के विश्व कप में भाग लिया था। उन्होंने अर्जेंटीना में आयोजित इस विश्व कप में सात गोल दागे। अपने खेल से वह आहिस्ता-आहिस्ता कामयाबी हासिल करती गईं। 2016 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 2018 एशियन गेम्स में उनके नेतृत्व में टीम ने रजत पदक जीता।