इस बैंक डकैती ( Bank Robbery ) में आज के हिसाब से करीब 7562 करोड़ रुपये की लूट हुई थी। यह रकम इराक के सेंट्रल (केंद्रीय) बैंक ( Bank ) से लूटी गई थी। वैसे तो यह घटना 17 साल पुरानी हो चुकी है। लेकिन इसे लोग आज भी याद करते है।
यह वाकया उस वक़्त का है जब इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन थे। कहा जाता हैं कि अमेरिका ने इराक पर हमले की योजना बना रखी थी। उससे कुछ घंटे पहले सद्दाम के बेटे कुसय इराकी सेंट्रल बैंक पहुंचे और बैंक प्रमुख को एक पर्ची थमाई, जिस पर लिखा था कि सुरक्षा कारणों से सभी पैसों को राष्ट्रपति ने दूसरी जगह ले जाने के लिए कहा है।
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बैंक प्रमुख कुछ नहीं बोले और उन्होंने पैसों को ले जाने की अनुमति दे दी। सद्दाम हुसैन के बेटे कुसय ने इराकी बैंक से इतने रुपए लूटे थे कि उन्हें इन पैसो को ले जाने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल करना पड़ा। यह रकम इतनी ज्यादा थी कि इसे ट्रकों में भरने में तकरीबन पांच घंटे का वक़्त लग गया।
इसके बावजूद भी बैंक ( Bank ) में और भी पैसे थे, लेकिन उन्हें रखने के लिए ट्रक ( Truck ) में जगह नहीं थी, इसलिए उन्हें वहीं पर छोड़ दिया गया। इस घटना के बारे में लोगों को तब मालूम हुआ जब अमेरिकी सेना ( US Army ) ने इराक पर बमबारी शुरू कर दी।
इस दौरान इराकी सेंट्रल बैंक ( Central Bank ) पर भी कब्जा कर लिया, लेकिन उन्हें पता चला कि बैंक ( Bank ) से सारे पैसे तो सद्दाम हुसैन के बेटे कुसाय ले गए। इसके बाद जब छानबीन हुई तो सद्दाम हुसैन के महल से भारी मात्रा में नोटों के ढेर मिले थे।
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हालांकि महल से मिले नोट लूट की रकम का हिस्सा नहीं थे। कहा तो यहां तक जाता हैं कि इराक में और भी कई जगहों पर छानबीन की गई लेकिन बैंक लूट का एक बड़ा हिस्सा कभी नहीं मिला। कई लोगों का कहना था कि सद्दाम हुसैन ने उन पैसों को सीरिया भेज दिया होगा।
हालांकि इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं। इस बैंक डकैती ( Bank Robbery ) की सबसे खास बात ये रही कि क्योंकि इसमें एक भी गोली नहीं चली थी और न ही किसी से कोई मारपीट की गई थी। इस पूरी डकैती को बड़े ही आराम के साथ अंजाम दिया गया था।