जापानी फार्मा कम्पनी ( Japanese Pharma Company ) का दावा है यह दवा कोरोना के मरीजों के लिए काफी मददगार साबित होगी। इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि रिकवर मरीजों से निकली एंटीबॉडीज नए कोरोना मरीजों में पहुंचेगी और उनके इम्यून सिस्टम में तेजी से सुधार करेगी।
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इस बीमारी जो मरीज हाल ही में ठीक हुए है। उनके शरीर में मौजूद इम्यून सिस्टम ऐसे एंटीबॉडीज बनाते है जो ताउम्र रहते हैं। ये एंटीबॉडीज ब्लड प्लाज्मा में सक्रिय रहते हैं। इसे दवा में बदलने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में इनसे एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं।
ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में खास थैरेपी के जरिए मदद से इंजेक्ट की जाती हैं। इस तरीके से मरीज के शरीर की तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है जब तक उसका शरीर खुद ये तैयार करने के काबिल ने बन जाए।इस बारे में डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी प्रोग्राम हेड माइक रियान का कहना है कि कोरोना वायरस से इलाज का बेहतर तरीका है।
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इसमें यह बेहद मायने रखता है कि मरीजों को सही समय पर इलाज मिलना चाहिए ताकि शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ सके। हालांकि ध्यान देने वाली बात ये भी है कि यह थैरेपी हर बार सफल नहीं होती। कंपनी टाकेडा पहले भी इम्युनिटी को बढ़ाने वाली दवा बना चुकी है। इस बार कंपनी का दावा है कि यह सुरक्षित और कारगर है, साथ ही इससे वायरस फैलने का खतरा नहीं है।