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घाटी की फिजा के बदले रंग, जानिए अजीत डोभाल के जम्मू-कश्मीर दौरे से अब तक के पूरे हालात

जम्मू-कश्मीर के बदले हालात (Jammu and Kashmir situation )
घाटी से धारा 370 खत्म करने का फैसला
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनाए गएं

Aug 05, 2019 / 01:57 pm

Shivani Singh

jammu kashmir

नई दिल्ली। इन दिनों जम्मू-कश्मीर ( Jammu-Kashmir ) की फिजाओं में अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। चारो तरफ सेना के जवाने तैनात नजर आ रहे हैं। कश्मीर में जारी हलचल पर देश से लेकर दुनियां सब की निगाहें हैं। घाटी में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती कर दी गी है। कश्मीर घूमने गए पर्यटकों और अमरनाथ यात्रा पर आए श्रद्धालूओं को वापस भेज दिया गया है। स्कूल, कॉलेज सब बंद हैं। किसी भी तरह की अफवाह ना फैलाइ जा सकते इसके लिए ऐतिहातन राज्य में इंटरनेट सेवाएं बन कर दी गई हैं। राज्य के चप्पे-चप्पे पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जा चुकी है।

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बता दें कि कश्मीर में यह सब एक दिन में नहीं नहीं हुआ। घाटी में हो क्या रहा है और होने क्या वाला है। इसे लेकर करीब एक हफ्ते पहले से अटकलें चल रही हैं। ये अटकलें तब लगनी शुरू हुईं जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कश्मीर दौर से वापस आएं। तो आइए जानते हैं अजीत डोभाल के दौर से अब तक जम्मू-कश्मीर में कब, क्या और कैसे हुआ-

ajit dobhal
26 जुलाई : अजीत डोभाल का कश्मीर दौरा

लगभग 10 दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल एक खुफिया मिशन के तहत घाटी के दौरे पर श्रीनगर पहुंचे थे। यहां उन्होंने कश्मीर के हालात को लेकर आला अधिकारियों, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से घाटी के मौजूदा हालात और सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी हासिल की। बता दें कि यह दौरा टॉप सीक्रेट रखा गया था।
27 जुलाई: सुरक्षाबलों की अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती

डोभाल के दौरे के बाद खबर आई कि घाटी में सुरक्षाबलों की अतिरिक्त 100 कंपनियों को तैनात किया जाएगा। इसे लेकर गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा।
28 जुलाई: महबूबा की मोदी सरकार को चेताबनी

कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती ने राजनीतिक भूचाल ला दिया। चारों तरफ से आवाज उठने लगी कि सरकार जम्मू-कश्मीर से घारा 35A को हटाने जा रही है। इसलिए सुरक्षाबलों को तैनात करने का फैसला किया गया है। राज्य की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी ने इसका विरोध किया। PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की मोदी सरकार को चेतावनी दी कि राज्य की विशेष स्थिति के साथ छेड़छाड़ करने का अंजाम काफी बुरा हो सकता है।
29 जुलाई: मांगा गया मस्जिदों का विवरण

जम्मू-कश्मीर में जारी हलचल को और हवा मिली जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मस्जिदों और प्रबंधन समितियों के बारे में विवारण देने का आदेश जारी किया। यह आदेश सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ। इस आदेश को घाटी में धारा 35A को रद्द करने की दिशा में आगे बढ़ता देखा गया।
30 जुलाई: राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अपील

इसके बाद जम्मू-कश्मीर में अफवाहों का दौर चरम पर पहुंच गया। लगातार ये बातें चल रही थीं कि जम्मू-कश्मीर से ‘स्थायी निवासियों’ को विशेष अधिकार देने वाले आर्टिकल 35A को खत्म कर दिया जाएगा। इन अफवाहों पर लगाम लगाते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि सरकार की अभी कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है।
31 जुलाई: मुफ्ती की जागरूकता रैली

31 जुलाई को महबूबा मुफ्ती ने घाटी में जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पीडीपी अध्यक्ष और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने घाटी के शोपियां और कुलगाम जैसे इलाकों में घूम-घूमकर धारा 35A के बारे में लोगों को जागरूक किया।
1 अगस्त: अब्दुल्ला की पीएम मोदी से मुलाकात

पीडिपी के बाद राज्य की दूसरी बड़ी विपक्षी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस भी हरकत में आ गई। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं का एक दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचा। उन्होंने पीएम मोदी से धारा 35A को रद्द ना करने की मांग की।
2 अगस्त: रद्द की गई अमरनाथ यात्रा

2 अगस्त को खुफिया तंत्र से मिली जानकारी के बाद अमरनाथ यात्रा रद्द कर दी गई। सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए तीर्थयात्रिओं और देशी-विदेशी सैलानियों को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर से जाने के लिए कहा। सरकार के इस आदेश के बाद राज्य से श्रद्धालु और पर्यटक लौटने लगे थे।
3 अगस्त: सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस

तीन अगस्त को सेना ने एक प्रेस कॉनफ्रेंस की। कॉन्फ्रेंस में सेना ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिक सीमा रेखा पर हमला करने की फिराक में थे, जिसे विफल कर दिया गया। इसी दिन उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर के राज्यपाल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा था कि सरकार बताए की आखिर राज्य में हो क्या रहा है।
4 अगस्त: नेताओं की नजरबंदी

4 अगस्त की आधी रात में जम्मू-कश्मीर का माहौल पूरी तरह से बदल गया। रातों-रात उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन सहित कई बड़े नेताओं को उनके ही घर में नजरबंद कर दिया गया। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और शशि थरूर ने सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए इसका विरोध किया।
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5 अगस्त- धारा 144 लागू

सुबह होते ही राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई। जम्मू जिले की उपायुक्त ने कहा कि अगले आदेश तक धारा 144 जम्मू-कश्मीर में लागू रहेगी। वहीं, इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं। स्थानीय लोगों को घर से ना निकलने की हिदायत दी गई।

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