बता दें कि उत्तर कोरिया में किम जोंग की तानाशाही का एक बड़ा सबूत यह भी है कि इस शासक की शोकसभा में रोने की भी पंरपरा है। अगर कोई इस पंरपरा को अच्छी तरह से नही निभाता है, तो किम परिवार उसे सजा देता है।
यह बात उस समय से है जब साल 2011 में उनके पिता किम जोंग इल की मौत हुई थी और उनकी मौत के बाद किम जोंग उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता बने थे। उनके दादा किम-II सुंग उत्तर कोरिया के संस्थापक और पहले नेता थे, जिनकी मौत साल 1994 में हुई थी। इसके बाद किम जोंग के पिता किम जोंग इल ने सत्ता संभाली। कहते हैं कि उत्तर कोरिया में रहने वाले लोगों के घर में किम जोंग के पिता और उनके दादा की तस्वीरें लगाना अनिवार्य है।
किम जोंग इल की मौत के बाद जब भी शोक सभा होती है उस दौरान वहां की प्रजा को खुलकर रोने का आदेश दिया जाता। और जो लोग इस शोक सभा में पूरे दम लगाकर चिल्ला-चिल्लाकर नही रोते है उसे अगले दिन मौत की सजा सुना दी जाती है। इस बात की चर्चा मीडिया में काफी रही थी। जानकारी के मुताबिक, इन शोकसभाओं में आकर जनता को रोकर ये साबित करना था कि वे पुराने राजा से कितना प्यार करते थे।
शोकसभाओं में इस तरह का रोना किम परिवार के लिए उनकी वफादारी का सबसे बड़ा सबूत माना गया है। बताया जाता है , ये शोकसभाएं 10 दिनों तक चलती है, जिसमें युवा, बच्चे, बूढ़े, औरत-मर्द सभी लोग उपस्थित होते है। और रोना शुरू कर देते है। इन शोकसभाओं के दौरान इस बात पर गौर किया जाता है कि कौन-किस तरह से रो रहा है। जो सही तरह से नहीं रो पाता है। उसे किम परिवार अपने प्रति वफादारी में कमी माना जाता।और उसे 6 महीने की कैद में रखा जाता है।