जिंदगी में कभी न कभी सभी को बुरे सपने आते हैं जो थोड़ी देर या पूरे दिन के लिए जहन में रहते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति को बार-बार ऐसे सपनों के आने के बाद सोने से खौफ होने लगे तो यह एक मानसिक विकार बनकर उभरता है। इसे नाइटमेयर डिसऑर्डर या पेरासोम्निया भी कहते हैं। किसी भी वर्ग के व्यक्ति को यह समस्या हो सकती है। इन सपनों से व्यक्ति की नींद टूटने के साथ हड़बड़ाहट, घबराहट, धडक़नें तेज होना और गहरी-गहरी सांस लेने जैसी तकलीफें होने लगती हैं। ऐसा कुछ सेकंड से लेकर मिनटों तक होने के बाद सामान्य हो जाता है।
इस डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं। जैसे स्लीप एप्निया, पूरी नींद न लेना, डरावनी फिल्में, उपन्यास, किताबें आदि बार-बार देखना या पढऩा, जीवन में कुछ बुरी घटनाओं का होना, लगातार तनाव या डिप्रेशन बने रहने से भी बुरे सपने आते रहते हैं। शराब व धूम्रपान की लत से भी ऐसा होता है। कई बार इस लत को छुड़ाने की प्रक्रिया के दौरान भी बुरे सपने आते हैं।
यदि एक हफ्ते से ज्यादा या लगातार डरावने सपने आते हैं तो डॉक्टर पॉलिसोम्नोग्राफी टैस्ट करवाते हैं। इसमें नींद के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों पर नजर रखते हैं। इलाज के तौर पर एंटीडिप्रेशन दवा और नशीली चीजों से परहेज के निर्देश देते हैं।