scriptडॉक्टर से हर बार फोन पर ना पूछें दवाइयां, हो सकते हैं ये नुकसान | Do not consult medicines on phone with doctor it has side effects | Patrika News
हॉट ऑन वेब

डॉक्टर से हर बार फोन पर ना पूछें दवाइयां, हो सकते हैं ये नुकसान

फोन पर बताए गए इलाज को सिम्टोमेटिक ट्रीटमेंट कहते हैं जिसमें डॉक्टर मरीज की उम्र व उसके बताए लक्षणों जैसे सीने में दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न होना, सांस लेने में दिक्कत होना, चक्कर आना, दौरे पडऩा आदि के आधार पर ये बताते हैं।

Nov 28, 2020 / 06:09 pm

सुनील शर्मा

online_medicine_consultation.jpg
इमरजेंसी में तो यह बात समझ में आती है कि आपने डॉक्टर को फोन लगाकर तात्कालिक राहत के लिए दवा आदि के बारे में पूछ लिया। लेकिन कुछ लोग बुखार, चोट, घबराहट, सीने में दर्द या अन्य तरह के दर्द के लिए डॉक्टर को दिखाने के लिए जाने से कतराते हैं और अपने फैमिली फिजिशियन से फोन पर ही दवाएं पूछ लेते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार फोन पर इलाज लेना तब ठीक रहता है जब डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री पहले से जानते हों। उस स्थिति में भी दवाएं 1-2 बार ही लेनी चाहिए, उसके बाद फौरन डॉक्टर से मिलें।
जानें 15 दिन बाद होने जा रहे सूर्य के परिवर्तन का 12 राशियों पर असर

शरीर के लिए वरदान है गोटू कोला का सेवन, होते है कई चमात्कारिक फायदे

सिम्टोमेटिक ट्रीटमेंट
फोन पर बताए गए इलाज को सिम्टोमेटिक ट्रीटमेंट कहते हैं जिसमें डॉक्टर मरीज की उम्र व उसके बताए लक्षणों जैसे सीने में दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न होना, सांस लेने में दिक्कत होना, चक्कर आना, दौरे पडऩा आदि के आधार पर ये बताते हैं कि मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने तक क्या-क्या एहतियात बरतनी चाहिए लेकिन इस दौरान डॉक्टर किसी भी तरह की दवाएं नहीं बताते।
रिपोर्ट संभालकर रखें
रात बे रात या डॉक्टर तक न पहुंच पाने की स्थिति में फौरन राहत के लिए भले ही एक्सपर्ट से दवा पूछ ली हो लेकिन अगले दिन जब भी उन्हें दिखाने जाएं तो अपनी पुरानी मेडिकल रिपोर्ट भी साथ लेकर जाएं। अक्सर लोग ऐसी मेडिकल रिपोर्ट संभालकर रखने को तवज्जो नहीं देते जिसमें चीजें नॉर्मल आई हों। लेकिन इन्हें रखना जरूरी होता है क्योंकि डॉक्टर पिछली और मौजूदा रिपोर्ट का मिलान कर यह पता लगाते हैं कि अब बीमारी के हिसाब से लाइन ऑफ ट्रीटमेंट क्या रखना है।
सही माप जानना जरूरी
आजकल लोग घर पर ही ब्लड प्रेशर नापने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खरीद लाते हैं। लेकिन इनके साथ प्रामाणिकता का मुद्दा रहता है। जब मरीज इन उपकरणों से बीपी नापकर डॉक्टर से फोन पर दवाएं पूछते हैं तो वे ज्यादा प्रभावी नहीं होतीं। बीपी, डायबिटीज या थायरॉइड ऐसी बीमारियां है जिनकी सही माप जाने बिना डॉक्टर के लिए दवाएं देना संभव नहीं होता। इन समस्याओं में फोन पर दवाएं लेने की बजाय डॉक्टर को दिखाना ही ठीक रहता है।

Hindi News / Hot On Web / डॉक्टर से हर बार फोन पर ना पूछें दवाइयां, हो सकते हैं ये नुकसान

ट्रेंडिंग वीडियो