मजदूरों को जब लगा कि उनसे पूरा-पूरा दिन काम करवाया जाता है और इसके बदले में उन्हें थोड़ा सा ही मेहनताना मिलता है तो उन्होंने एक मंच पर आने का विचार बनाया। दरअसल आज हम और आप जो ऑफिस में 8 घंटे तक काम करते हैं ये उसी क्रान्ति की देन है जो मजदूरों ने शुरू की थी और उन्हीं की वजह से आज हम इंसानों की तरह काम कर पाते हैं।
इससे पहले मजदूरों से जानवरों की तरह काम लिया जाता था और उनका शोषण किया जाता था जिससे तंग आकर मजदूरों ने एक जुट होकर इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई और तब जाकर उनके काम करने का एक तय समय और एक तय मेहनताना निर्धारित किया गया।
आपमें से ज्यादातर लोग नहीं जानते होंगे कि आखिर मजदूर कहते किसे हैं, तो आज इस खबर में हम आपको मजदूरों की असली परिभाषा बताने जा रहे हैं। अगर आम परिभाषा की बात करें तो , ‘कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अपनी श्रम शक्ति को बेचकर अपना रोजगार कमाता है, वह मजदूर है।’
इसके अलावा, ‘किसी व्यक्ति द्वारा कुछ काम करने के बदले, काम कराने वाला व्यक्ति उसे जो कुछ (रुपया-पैसा, अनाज, या श्रम) देता है उसे मजदूरी या मजूरी कहते हैं। मजदूरी की गणना प्रति दिन, प्रति घण्टा, या प्रति काम के अनुसार की जाती हैकिसी व्यक्ति द्वारा कुछ काम करने के बदले, काम कराने वाला व्यक्ति उसे जो कुछ (रुपया-पैसा, अनाज, या श्रम) देता है उसे मजदूरी या मजूरी कहते हैं। मजदूरी की गणना प्रति दिन, प्रति घण्टा, या प्रति काम के अनुसार की जाती है।’