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यहां समझिए क्या था ‘बेहमई हत्याकांड’, 20 लोगों की हत्या और ‘फूलन देवी’ गैंगरेप का आखिर क्या था कनेक्शन

फूलन देवी ने हिला दी थी सियासत
फूलन देवी आम लड़की से बन गई थी डाकू

Jan 18, 2020 / 03:37 pm

Prakash Chand Joshi

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नई दिल्ली: भारत में कई हत्याकांड हुए जो चर्चा का विषय बने, लेकिन बात जब बेहमई हत्याकांड की होती है तो आज भी इस हत्याकांड के 39 साल बीतने के बाद ये चर्चा का विषय है। शनिवार को स्थानीय अदालत का इस मामले पर फैसला आने वाला है। हलांकि, इस मामले में मुख्य आरोपी फूलन देवी ( Phoolan Devi ) समेत कई आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है। लेकिन हम आपको इस हत्याकांड के बारे में बताने जा रहे हैं।

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20 लोगों की हत्या…

ये हत्याकांड उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बेहमई में 14 फरवरी 1981 को हुआ था। दस्यु सुंदरी के नाम से विख्यात फूलन देवी पर आरोप है कि उन्होंने एक ही समुदाय के 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। इस गांव में फूलन देवी ने अपने 35 साथियों के साथ बेहमई के 26 लोगों पर 5 मिनट में सैकड़ों गोलियां बरसाई थीं, जिममें 20 लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त इन नरसंहार ने देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया था। दरअसल, 10 अगस्त 1963 को यूपी में जालौन के ‘घूरा का पुरवा’ में फूलन का जन्म हुआ। 10 साल की उम्र में वो अपने चाचा से इसलिए भिड़ गई क्योंकि उसके चाचा ने जमीन ले ली थी। इसके बाद फूलन की 10 साल की उम्र में शादी कर दी गई थी। हालांकि, ये शादी ज्यादा नहीं चली और उम्र में 30 साल से ज्यादा बड़े पति ने दूसरी शादी कर ली। इस बीच फूलन के नए दोस्त बने, जिसमें से कुछ डाकू गैंग से थे।

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फूलन की जिंदगी में भूचाल

फूलन ने बताया था कि ‘शायद किस्मत को यही मंजूर था। गैंग का सरदार बाबू गुज्जर मुझसे प्यार करने लगा। दूसरी तरफ विक्रम मल्लाह को भी फूलन से प्यार था।’ इन सबके बीच तनातनी हुई और विक्रम ने सरदार की हत्या करेक सरदार की गद्दी ले ली। फिर क्या था फूलन विक्रम के साथ रहने लगी। वहीं एक दिन फूलन अपने गैंग के साथ पति के गांव गई, जहां उसे उसकी बीवी दोनों की जमकर पिटाई की। वहीं जब फूलन के गैंग की ठाकरों के गैंग से भिड़ंत हुई, तो सबसे ज्यादा खौफनाक जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं था वो फूलन के साथ हुआ। दरअसल, ठाकरों के गैंग का सरगना श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकरु थे। ये बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज था और वो इसका जिम्मेदार फूलन को मानाता था।

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फूलन का रेप…

दोनों गुटों में लड़ाई हुई। एक बार तो खूली झड़प भी हुई। मल्लाह को गोली लगी थी। ऐसे में फूलन और मल्लाह छिपते हुए कुछ देर के लिए आराम करने के लिए रुके थे। लेकिन जब फूलन सोकर उठी तो खुद को ठाकुर गैंग की गिरफ्त में पाया और ठाकुर के गैंग ने मल्लाह को मार दिया था। फूलन ने अपनी किताब में कुसुम नाम की महिला का जिक्र किया है, जिसने श्रीराम की मदद की थी। फूलन के मुताबिक, विक्रम मल्लाह ने उसे तोहफे में जितनी भी ज्वैलरी दी थी, वो सभी कुसुम ने उसके बदन से उतार ली थी। उन्‍होंने लिखा था ‘कुसुम ने मेरे कपड़े फाड़ दिए और आदमियों के सामने नंगा छोड़ दिया’। श्रीराम और उसके साथी नग्न अवस्था में ही रस्सियों से बांधकर नदी के रास्ते बेहमई गांव ले गए। श्रीराम और उसके साथियों ने मिलकर उसे पूरे गांव में नंगा घुमाया। सबसे पहले श्रीराम ने मेरा रेप किया और फिर बारी-बारी से गांव के लोगों ने मेरे साथ रेप किया। वो मुझे बालों से पकड़कर खींच रहे थे। श्रीराम और उसके साथियों ने फूलन को लाठियों से भी खूब मारा था।

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फिर आया बदले का दिन…

कहा यहां तक जाता है कि ठाकरों ने फूलन को नग्न अवस्था में 2 हफ्ते से ज्यादा समय तक रखा और उसे एक कोठरी में बंद भी किया था। हर रोज उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता और वो भी तब तक जब तक वो बेहोश नहीं हो जाती थी। उस वक्त फूलन की उम्र महज 18 साल थी। वहीं जब फूलन यहां छूटी तो फिर से डाकुओं के गौंग में शामिल हुई और साल 1981 में फूलन बेहमई गांव वापस लौटी। दो लोगों की पहचान की और बाकी रेप करने वाले लोगों के बारे में पूछा, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया। ऐसे में फूलन ने गांव से 20 ठाकुरों को निकालकर एक साथ गोली मार दी थी। यही वो हत्याकांड था, जिसने फूल की छवि खूंखार डकैत की बना दी। हर तरफ इस बात की खूब चर्चा हुई और मीडिया ने फूलन को नया नाम दिया ‘बैंडिक क्वीन’।

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फूलन की मौत का दिन….

भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी इस बीच फूलन के गैंग से बात करते रहे। न सिर्फ उन्होंने बात कि बल्कि ये कमाल करके भी दिखाया क्योंकि फूलन आत्मसमर्पण को राजी हो गईं। फूलन ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण किया। उस समय उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के चार्जेज थे। ऐसे में फूलन को 11 साल जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा। मुलायम सिंह की सरकार ने साल 1993 में उन पर लगे सारे आरोप वापस लेने का फैसला किया और राजनीतिक रूप से ये बड़ा फैसला था। वहीं साल 1994 में फूलन जेल से छूट गईं औक उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई। साल 1996 का वो दिन भी आया जब सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर और जीतकर फूलर मिर्जापुर से सांसद बनीं। दिल्ली के अशोका रोड का बंगला उन्हें रहने के लिए दिया गया। साल 1998 में हारी, लेकिन साल 199 में वो फिर से जीत गई। लेकिन 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया। नागपंचमी का दिन था और उनके हाथ से खीर खाई। इसके बार घर के गेट पर ही फूलन को गोली मार दी। राणा ने कहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया। इसके बाद 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणआ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन इस घटना ने हर किसी को हिला कर रख दिया।

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