15 दिन में तैयार होगी घाट के सौंदर्यीकरण और सुविधा विस्तार की योजना
समस्याएं दूर हों तो सेठानीघाट का बढ़े मान: बिन सफाई के कलात्मक बेजोड़ पत्थरों से बना यह मुख्य घाट मरम्मत और रखरखाव के अभाव में चमक खो रहा है। घाट को आजू-बाजू के घाटों व मंदिरों को जोड़कर कॉरीडोर की मांग ने जोर पकडऩे लगी है।
15 दिन में तैयार होगी घाट के सौंदर्यीकरण और सुविधा विस्तार की योजना
देवेंद्र अवधिया
होशंगाबाद. संभाग में पर्यटन के नए स्वरूप में नर्मदा का विश्व प्रसिद्ध सेठानीघाट उभर सकता है। जरूरत है इसको नए सिरे से संवारने की है। घाट का संचालन अभी नपा के जिम्मे है, लेकिन घाट को स्वच्छ व सुंदर रखने नियमित सफाई नहीं होती। घाट पर जमा कचरा-गंदगी कई दिनों तक पड़ी रहती है। बिन सफाई के कलात्मक बेजोड़ पत्थरों से बना यह मुख्य घाट मरम्मत और रखरखाव के अभाव में चमक खो रहा है। घाट को आजू-बाजू के घाटों व मंदिरों को जोड़कर कॉरीडोर की मांग ने जोर पकडऩे लगी है। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के मुताबिक इसके लिए जल्द ही कार्ययोजना तैयार कराएंगे, ताकि होशंगाबाद की पहचान भी महेश्वर, जबलपुर की तरह बन सके।
घाटों पर क्या-क्या परेशानी
-बारिश के दौरान जलस्तर बढऩे से सेठानी घाट के मुख्य हिस्से पर तो सफाई कर दी, लेकिन नाव घाट, पर्यटन घाट, मंगलवारा घाट पर अभी भी मिट्टी जमा। श्रद्धालु एक घाट से दूसरे घाट की ओर नहीं जा पा रहे।
– इतने बड़े घाट पर सिर्फ तीन कूड़ेदान, जब कूड़ेदान हीं नहीं होंगे तो लोग कचरा डालेंगे कहां।
– पर्यटन घाट से नर्मदा में मिलने वाला नाला बंद नहीं हुआ।
– सेठानी घाट पर आवारा जानवरों को रोकने की व्यवस्था नहीं। मवेशी घाटों पर घूमते हैं।
– प्रतिमा विसर्जन के बाद स्थिति और बदहाल। सेठानी घाट पर अभी प्रतिमाओं के अवशेष दिख रहे।
सेठानीघाट में यह बदलाव की जरूरत
-घाट पर नए सिरे से वाहन की पार्किंग विकसित हो। पेड पार्किंग से नपा को आय भी होगी और घाट की सुविधाएं भी बढ़ेगी। वाहन चोरी भी रुकेंगी।
-सड़कों से पूजनसामग्री की दुकानों को नपा के रैन बसेरे कॉम्प्लेक्स स्थित दुकान में शिफ्ट किया जा सकता है। नपा इनसे रोज बैठकी शुल्क वसूलती है इसके बजाए मंथली जगह का किराया तय करके सभी दुकानों को एक जगह व्यवस्थित किया जा सकता है।
-बाहर से आए सैलानियों, स्नानार्थियों के रात ठहरने के लिए घाट पर तिलक भवन, धर्मशाला, रैन बसेरा है इसे फिर से पलंग, बिजली-पानी, चौकीदार-सुरक्षा गार्ड के इंतजाम कर शुरू कराए जा सकते हैं।
-सेठानी घाट पर वोटिंग की सुविधा नहीं है। वोटिंग का ठेका देकर पर्यटकों के लिए सुविधा बढ़ेगी तथा आय का जरिया बढ़ेगा।
-पक्के घाटों के बेहतर संचालन और देखरेख के लिए नए सिरे से संचालन समितियां बनें, जो रोज या साप्ताहिक साफ-सफाई के साथ घाट पर स्नानार्थियों को आवश्यक सुविधाएं जुटा सके।
-घाट पर प्रतिबंध के बाद भी पॉलीथिन उपयोग होता है। दुकानदार और ग्राहक दोनों ही इसके उपयोग-बिक्री नहीं करने के प्रति लापरवाही बरत रहे। घाट पर आटे की दीए और कागज के दोने की ही बिक्री और उपयोग को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
-मुख्य सेठानीघाट पर तो मछली मारने के प्रतिबंध पालन होता है, लेकिन आजू-बाजू के हिस्से में लोग वंशी और गल डालकर मछली मारते हैं। जाल का भी उपयोग होता है। इस पर पूर्णत: रोक लगे।
-जो स्वयंसेवी घाटों की प्रति रविवार सफाई करते हैं, उनके अभियान में नपा का सफाई अमला भी जोड़ा जाए तो रोजाना जमा होने वाला क्विंटलों पूजन सामग्री, कपड़े अन्य तरह का कचरा साफ हो सकता है। घाट स्वच्छ बने रहेंगे।
इनका कहना है…
गंदगी के बीच होते हैं स्नान
सेठानीघाट भारत के सबसे घाटों में एक है, इसके बनने में 25 साल लगे थे। वर्ष 1881 में बनकर तैयार हुआ था। इससे जानकीबाई सेठानी ने बनवाया था। घाट पर कोई सुविधाएं नहीं है। पूरा पक्का घाट स्ट्रीट लाइटें बंद होने से रात में अंधेरे में डूबा है। महिलाओं को वस्त्र बदलने चेंजिंग रूम नहीं है। लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां-बेंचे भी गायब है। घाट व मंदिरों के सामने डस्टबिन नहीं रखे गए हैं। गंदगी के बीच लोगों को स्नान-पूजन में दिक्कतें होती है।
-पं. गोपाल प्रसाद खड्डर, व्यवस्थापक नर्मदा मंदिर सेठानीघाट
विश्व पर्यटन के नक्शे आए सेठानीघाट
सेठानीघाट पत्थरों की शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। देश-दुनिया में इसकी पहचान होती है,लेकिन घाट के मुख्य हिस्से को छोड़कर आजू-बाजू के जुड़े घाट काले महादेव, कोरीघाट-नावघाट, मंगलवारा तक की हालत ठीक नहीं है। घाट के विस्तार की योजना बननी चाहिए और हरियाली-सौंदर्यीकरण व पर्यटन की सुविधाएं भी बढऩे से विश्व पर्यटन के नक्शे पर यह शामिल हो सकता है।
-अशोक विस्वाल, शोधकर्ता जल विशेषज्ञ नर्मदाघाटी
15 दिन में तैयार होगी कार्ययोजना
सेठानीघाट एरिया को पॉलीथिन मुक्त किया जाएगा। नपा को घाटों की नियमित सफाई कराने कहा गया है। कलेक्टर साहब के निर्देश पर सौंदर्यीकरण, सुविधाओं के विस्तार की 15 दिन में रूपरेखा बनाई जाएगी। पूरे शहर में एक साथ सफाई अभियान भी चलेगा।
-फरहीन खान, एसडीएम होशंगाबाद
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