जर्नल करंट बायोलॉजी में यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया (university of virginia) के कुछ वैज्ञानिकों के प्रकाशित एक शोध के प्रमुख लेखक अली गुलेर के अनुसार, लैबोरेट्री टेस्ट में सामने आया कि सामान्य भोजन, व्यायाम और कम तला-भुना खाना खानेवाले लोगों का वजन आमतौर पर संतुलित रहता है। ऐसे लोगों को बार-बार स्नेक्स खाने या हाई कैलरी फूड खाने की क्रेविंग नहीं होती है। लेकिन ऐसे लोगों को बार बार झूठी भूखलगती है। जो लोग हाई कैलरी फूड खाते हैं, उन्हें बार-बार भूख लगती है। खासतौर पर स्ट्रीट फूड और मैदा से बनी अधिक चीजें खानेवालों को कुछ-कुछ समय बाद भूख का अहसास होने लगता है। जबकि उनके शरीर को उस दौरान ऊर्जा की कोई जरूरत नहीं होती। मतलब उन्हें भूख महसूस होती है लेकिन उन्हें सच में भूख नहीं लगी होती है। इसी को क्रेविंग होना कहते हैं। जब कुछ ना कुछ लजीज खाने के लिए जी ललचाता रहता है।
लेकिन बिना शारीरिक ज़रूरत के यूँ बार बार खाना जिसे वैज्ञानिक ओवर ईटिंग (over eating) कहते हैं धीरे धीरे हमारे मोटापे का कारण बन जाता है। फैट बढ़ने से हमारी शारीरिक गतिविधियां धीमी पद जाती हैं। अब बार-बार और बिना शरीर की जरूरत के खाने पर तो फैट बढ़ने पर हम इस अनचाहे वजन को कम करने के लिए लाखों जातां करते हैं। क्योंकि हमारा शरीर गैरजरूरी फैट को स्टोर करने लगता है। यही फैट चर्बी के रूप में हमारे शरीर पर लटकता है। इसलिए अगर आप भी मोटापे से बचना चाहते हैं और फिट रहना चाहते हैं तो हाई शुगर, हाई कैलरी और बहुत अधिक चटपटा भोजन खाने से परहेज करें। कभी-कभार खाने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन इसे आदत या रुटीन ना बनाएं। ऐसा करेंगे तो आप फिट रहेंगे।