वर्तमान में सामान्य और विशेषज्ञ चिकित्सा, दोनों में योग्य चिकित्सकों की कमी है। इसलिए पीपीपी मोड में जिला अस्पताल में एक मेडिकल कॉलेज संलग्न करना प्रस्तावित है। इस योजना का विवरण जल्द ही तैयार किया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि इस योजना के तहत अस्पतालों को कवर करने के लिए एक ‘वायबिलिटी गैप विंडो’ स्थापित की जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि अस्पतालों को कवर करने के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग विंडो को प्राथमिकता दी जाएगी, यह योजना उन जिलों में लागू होगी जहां आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पताल स्थापित नहीं हैं।
भारत को क्यों है इन योजनाआें की जरूरत
वर्ष 2017 में इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार 2030 तक भारत को 2.07 मिलियन अधिक डॉक्टरों की आवश्यकता है। अध्ययन के समय भारत में 10,000 मरीजों पर 4.8 पेशेवर चिकित्सकों की उपलब्धता देखी।
फोरे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में अर्थशास्त्र और व्यवसाय नीति संकाय द्वारा आयोजित इस अध्ययन का शीर्षक, भारत में डॉक्टरों की उपलब्धता: 2014-2030, था। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) में 1960-2015 तक डॉक्टरों के पंजीकरण के डेटा का इस्तेमाल किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में प्रति 10,000 लोगों पर सात डॉक्टर हैं। शोध पत्र में पाया गया कि 2014 में भारत में प्रति 10,000 लोगों पर केवल 4.8 पेशेवर चिकित्सक उपलब्ध थे।
शोध में बताया गया कि इन निष्कर्षों को देखते हुए 2030 तक 1000 मरीज पर 1 चिकित्सक उपलब्ध कराने का लक्ष्य पाना असंभव कार्य जैसा दिखता है। क्योंकि उस समय जनसंख्या 1.476 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
उपरोक्त अध्ययन का देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश में पेशेवर चिकित्सकों की कमी पूरी करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री द्वारा प्रत्येक जिले में सार्वजनिक-निजी-साझेदारी मॉडल के आधार पर एक जिला अस्पताल के साथ मेडिकल कॉलेज को संलग्न करने की घोषणा के प्रभावी कदम हो सकता है। इससे मरीजों को तो बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं तो मिलेंगी ही, साथ में योग्य चिकित्सकों की कमी भी दूर हो सकेगी।