यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफोर्निया की स्टिडी कहती है कि बहुत समय तक स्ट्रेस में रहना और दिनरात सोचते रहना जॉब बर्नआउट का कारण बन सकती है। जॉब बर्नआउट (symptoms of job burnout) का सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव देखने का मिलता है।
क्या है जॉब बर्नआउट : What is job burnout
कभी-कभी काम के दौरान बोरियत महसूस होने पर ब्रेक लेकर कहीं घूमने जाना और फिर ताजगी के साथ लौटना सामान्य है, लेकिन यदि छुट्टी के बाद भी काम का तनाव बना रहे, तो यह जॉब बर्नआउट का संकेत हो सकता है। जब किसी काम को लेकर पहले खुशी मिलती थी, लेकिन अब वही काम सिरदर्द का कारण बनने लगे, तो इसे जॉब बर्नआउट (symptoms of job burnout) कहा जा सकता है। WHO का मानना है कि यह क्रोनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस के कारण हो सकता है, जिसका अर्थ है काम के प्रति अत्यधिक तनाव होना होता है। इसे तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में काम करते समय उत्साह और ऊर्जा की कमी शामिल है, दूसरी श्रेणी में नौकरी के प्रति नकारात्मक विचार आना या काम में बोरियत महसूस करना, और तीसरी श्रेणी में अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन न कर पाना।
क्या है जॉब बर्नआउट के लक्षण : What are the symptoms of job burnout?
- मेंटली थका महसूस करना
- काम करने में मन न लगना, फोकस न कर पाना
- अचानक से मूड बदलना
- काम को लेकर लंबे समय तक स्ट्रेस या डिप्रेशन होना
- एनर्जी लो फील होना
- नौकरी को लेकर नेगेटिव होना
- अच्छी तरह परफॉर्म न कर पाना
- सहकर्मियों से बातचीत करते समय गुस्सा हो जाना
- काम से खुश न रहना.
- नींद न आना, सिरदर्द, पेट या आंत की समस्याएं
जॉब बर्नआउट से बचाव : Prevention of job burnout
- किसी काम में इस हद तक न उलझें कि मानसिक सेहत खराब हो जाए, दफ्तर के काम को घर न लाएं, फैमिली से काम को दूर रखें, अपना महत्व समझें
- फ्री टाइम में पसंदीदा काम करें, कोई गेम खेलें या घर वालों के साथ खुशियां सेलिब्रेट करेंं।
- तनाव से गुजर रहे हैं तो करीबियों से बात करें, डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैंं।
- सोते समय उन बातों को सोचना बंद करें, जो परेशान करते हैं, हमेशा अच्छी नींद लेंं।
- एक समय पर एक ही काम करें।
- वर्कप्लेस पर न करने की भी आदत डालेंं।
- तनाव कम करने के लिए योग, मेडिटेशन करें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।