मैदा से बनने वाले मोमोज में प्रोटीन और फाइबर नहीं होते है। मैदा तब बनता है जब गेहूं में से फाइबर निकाल लिए जाते हैं। इसके कारण ही मैदान अच्छी तरह से डाइजेस्ट नहीं हो पाता और वह आंतों में जाकर जमने लगता है। उबला होने की वजह से यह ज्यादा नुकसान दायक हो जाता है।
कुछ रिपोट्र्स के अनुसार मार्केट में मिलने वाले मोमोज पूरी तरह से सफेद होते हैं, सफेद बनाए रखने के लिए उनमें ब्लीच या दूसरे कैमिकल मिला दिए जाते हैं। जिससे किडनी की सेहत बिगड़ती है।
मोमोज को लाल मिर्च की चटनी से खाया जाता है, वो भी स्वास्थ्य के लिए सही नहीं होती है। इससे पेट संबंधी कई समस्याएं हो सकती है। वहीं कुछ मोमोज बेचने वाले मोमोज में मोनोसोडियम ग्लूटामैट नामक केमिकल मिलाते हैं, जिससे टेस्ट बढ़ता है। यह शरीर के लिए किसी स्लो पॉइजन से कम नहीं हैं।
मोमोज के अंदर सब्जियां डाली जाती है, जो हमें अंदर होने के कारण दिखाई नहीं देती। ऐसे में बिना अंदर देखे ही सीधे मोमो मुंह के अंदर चला जाता है। ऐसे में जब भी मोमो खाएं कम से कम अंदर की सब्जियों को देखकर जरूर खाएं।