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छोटे कद वालों को बड़े होने पर हो सकता है ये दो गंभीर बीमारियों का खतरा

Hypertension and Heart Disease : मां और उनके बच्चों में साझा जोखिम वाले जीन के चलते जन्म के समय अगर वजन बढ़ा हुआ रहा तो बड़े होने के बाद दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च में पाया गया है कि छोटे कद के पैदा हुए लोगों में बड़े होने पर हाइपरटेंशन और हृदय रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

Feb 16, 2024 / 05:07 pm

Manoj Kumar

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If you have small height may face hypertension and heart disease

मां और उनके बच्चों में साझा जोखिम वाले जीन के चलते जन्म के समय अगर वजन बढ़ा हुआ रहा तो बड़े होने के बाद दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च में पाया गया है कि छोटे कद के पैदा हुए लोगों में बड़े होने पर हाइपरटेंशन और हृदय रोग विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।

एक थ्योरी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अपर्याप्त न्यूट्रिशन का सेवन विकासशील भ्रूण के मेटाबॉलिज्‍म को प्रभावित करता है, इससे ओवरन्यूट्रिशन के दौरान हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि विकासशील भ्रूण के विकास को प्रभावित करने वाले मां से मिलने वाले जीन बच्चे के वजन पर प्रभाव डालते है।

फिनलैंड में हेलसिंकी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा,ऐसा लगता है कि ये जीन बीमारी के जोखिम में केवल तभी भूमिका निभाते हैं, जब वे बच्चे में प्रवेश कर जाते हैं। मां से मिलने वाले कुछ जीन गर्भ में बच्चे की विकास स्थितियों को प्रभावित करते हैं, इससे बच्चे का जन्म के समय वजन प्रभावित होता हैं। बदले में बच्चे को मां से इन जीन्स की एक कॉपी मिलती है।

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रिसर्च में बताया गया है कि ‘जब हमने बच्चों के बीमार होने की संभावना पर बर्थ वेट वाले जीन्स के प्रभाव का अध्ययन किया, तो हमने पाया कि जन्म से पहले बच्चे के विकास में मां की वजह से होने वाले छोटे-मोटे बदलावों का बच्चे में व्यस्क होने पर बीमारी विकसित होने के जोखिम पर बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है। इसकी बजाय, ऐसा लगता है कि बच्चे के स्वयं के जीन उसके भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों को निर्धारित करने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

स्टडी का नेतृत्व करने वाले डॉ तारू तुकियानेन ने कहा, “रिसर्च में हमने एक ही समय में माताओं और उनके बच्चों दोनों के जेनेटिक डेटा का उपयोग किया है। यह तरीका पता लगाने के लिए बहुत ही प्रभावी साबित हुआ है कि मां के स्वास्थ्य और गर्भ में बच्चे की स्थिति बच्चे के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है।

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