परंपराओं-सभ्यताओं को अपनाकर ही जीत सकते कोरोना की लड़ाई
हमारी प्राचीन संस्कृति में संयम को भी एक गुण बताया गया है। संयम न रखने वाला व्यक्तिहमेशा समस्याओं से घिरा रहता है। हमारी पुरातन परंपरा इतनी समृद्ध है कि कोरोना जैसे वायरस का तोड़ भी इसमें है।
परंपराओं-सभ्यताओं को अपनाकर ही जीत सकते कोरोना की लड़ाई
हमारी प्राचीन संस्कृति में संयम को भी एक गुण बताया गया है। संयम न रखने वाला व्यक्तिहमेशा समस्याओं से घिरा रहता है।
हमारी पुरातन परंपरा इतनी समृद्ध है कि कोरोना जैसे वायरस का तोड़ भी इसमें है। लेकिन हम अपनी परंपराओं और आयुर्वेदिक ज्ञान को भूल गए हैं। अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं। परंपराओं के विरुद्ध काम करना सम्मान से जोडऩे जैसा हो गया है। जैसे दिन जागने के लिए बना और रात सोने के लिए। अब लोग रात में जागते और दिन में सो रहे हैं। इससे इम्युनिटी घटती है। असमय बीमारियां हो रही हैं। छोटी बीमारी भी विकराल रूप ले लेती है।
गुनगुना पानी पीने के कई फायदे, संक्रमण भी घटता है
पहले सुबह उठते ही उष्ण जल पीते थे। इससे शरीर में जल्द विकार नहीं आता और सर्दी-जुकाम व अन्य बीमारियों से बचाव होता है। एलर्जी की समस्या नहीं होती है। अब अधिक चीनी, दूध और ज्यादा चायपत्ती वाली कडक़ चाय पीने का चलन हो गया। इससे बीमारियां बढ़ रही हैं। चाय पीने के कारण ही कई लोगों को शौच में परेशानी होती है। पेट की बीमारियां बढ़ रही है। पेट से सभी प्रकार के हार्मोन संबंधी रोग होते हैं। गुनगुना पानी पीने से पाचन सही रहता, वजन नियंत्रित रहता है। शरीर का तापमान नियंत्रित रखने वाली प्रणाली सही रहती है। इससे नर्वस सिस्टम सही रहता है। तनाव आदि नहीं होता है।
आयुर्वेद के अनुसार ऋतुचर्या बहुत महत्वपूर्ण है। केवल मौसमी चीजें ही खाना चाहिए। एसी-फ्रिज वाली चीजों से बचें। इनसे बीमारियां होती हैं। पहले किचन तो दूर घर में जूते-चप्पल पहन अंदर जाना मना था। गोबर से घर लीपा जाता जो किटाणुओं से बचाता था।
आयुर्वेद के अनुसार मधुर, कसाय, अम्ल, समेत छह रस बताए गए हैं। स्वस्थ रहने के लिए सभी को खाना चाहिए लेकिन अभी जिसको मीठा पंसद है तो केवल मीठा और जिसको कड़वा पसंद है वह केवल तीखा ही खाता है। इससे बीमारियां बढ़ रही हैं।
धर में तुलसी का पौधा और बाहर पीपल का पेड़ हो
हर घर के अंदर तुलसी और बाहर बरगद या पीपल का पेड़ होता था। तुलसी का उपयोग लगभग हर बीमारियों में होता है। अब इसके जानकार भी कम रह गए। वहीं पीपल-बरगद दूर तक ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। समस्या शरीर में नहीं बल्कि मन में है। इसीलिए मौसम के अनुरूप ढलने में परेशानी हो रही है। पहले किसी के घर जाने पर गुड़-पानी मिलता था। अब सोडा मिलता है। शाकाहारी खाना ही खाएं। मांसाहार से कैंसर समेत कई दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। सुबह उठते, खाने से पहले और सोने के समय ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।
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