स्ट्रेस की स्थिति में शरीर अड्रेनलिन हॉर्मोन्स रिलीज करता है इससे सांस की रफ्तार से लेकर हार्ट रेट तक बढ़ जाती है। साथ ही में ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। इस स्थिति में शरीर कॉर्टिसॉल नाम का हॉर्मोन भी रिलीज करता है ताकि स्ट्रेस से निपटा जा सके। लगातार स्ट्रेस के कारण अड्रेनलिन और कॉर्टिसॉल का बार-बार ज्यादा रिलीज होना ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल आदि को बुरी तरह प्रभावित करता है, इससे दिल में पंप होने वाले खून व उसे पहुंचने वाली ऑक्सिजन की मात्रा प्रभावित होती है। इस दबाव के पड़ने से दिल की नर्व्स या तो बहुत ढीली पड़ जाती हैं या फिर कड़क हो जाती हैं जिससे हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर हो सकता है।
हार्ट फेलियर से बचने के लिए अपने स्ट्रेस को कम करने की कोशिश करें। अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं और ऐसी चीजों से बचें जो बिना मतलब आपको तनाव की स्थिति में डाल सकती हैं। स्ट्रेस से निपटने के लिए व्यायाम, काउंसलिंग, योग का सहारा लिया जा सकता है। मोटिवेशनल किताबें पढ़े और ज्यादा जिम्मेदारियों को ओढ़ने से बचें, उतना ही बर्डन लें जितना आसानी से मैनेज कर सकें।
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डिप्रेशन के कारण भी हो सकता है हर्ट अटैक
लंबे समय से स्ट्रेस या तनाव की तरह ही डिप्रेशन की समस्या में भी हार्ट से जुड़ी गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अवसादग्रस्त व्यक्ति का खानपान, शारीरिक गतिविधि बिलकुल अलग हो जाती है। इसके अलावा चिंता या अवसाद की वजह से आपको हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि डिप्रेशन
बचाव के टिप्स
खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव करें। अल्कोहल के सेवन से बचें।
स्मोकिंग की लत को छोड़ें।
जंक फूड्स या प्रोसेस्ड फूड का सेवन न करें।चीनी और साल्ट के सेवन से भी परहेज रखें।