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इसके साथ ही शराब पीने के बाद दिमाग को सामान्य होने में कम से कम दो सप्ताह का समय लग सकता है। इसलिए यह आपके दिमाग के लिए घातक है। ऐसा दावा किया गया है कि जब तक मस्तिष्क ठीक नहीं हो जाता तब तक यह पीने की इच्छा को कम करने में सक्षम नहीं होता है।
शराब का शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव
डॉक्टर के अनुसार, शरीर की एक निश्चित चयापचय की क्षमता होती है। लेकिन अधिक शराब का सेवन करने से मोताबोलिक प्रक्रिया ठीक से नहीं हो पाती है। शराब शरीर पर जल्दी असर करती है। यह पेट के अस्तर के माध्यम से रक्तप्रवाह में अवशोषित हो जाता है। वहां पहुंचने के बाद यह पूरे शरीर के ऊतकों में फैल जाता है। शराब सिर्फ पांच मिनट में आपके दिमाग तक पहुंच जाती है। इसका असर सिर्फ 10 मिनट के अंदर किसी भी व्यक्ति पर शुरू हो सकता है।
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इतने समय तक शरीर में मौजूद रहता है अल्कोहल
डॉक्टर के अनुसार, आपका लिवर अल्कोहल को 20 मिनट के बाद प्रोसेस करना शुरू कर देता है। लीवर हर घंटे में 1 औंस अल्कोहल का चयापचय कर सकता है। शरीर के सिस्टम को छोड़ने में यह लगभग साढ़े पांच घंटे का समय ले सकता है। जबकि शराब यूरीन में 80 घंटे तक और बालों के रोम में तीन महीने तक रह सकती है। शराब का नशा तब होता है जब अल्कोहल का सेवन आपके शरीर की अल्कोहल को मेटाबोलाइज करने और इसे तोड़ने की क्षमता से अधिक हो जाता है।
ब्रेन फंक्शन होता है प्रभावित
अल्कोहल ब्रेन के फ्रंटल लोब्स को प्रभावित कर सकता है। यह निर्णय लेने और आवेग नियंत्रण जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह हिप्पोकैम्पस को भी प्रभावित करता है। यह स्मृति निर्माण में शामिल होता है। लंबे समय तक शराब के दुरुपयोग से मस्तिष्क के ऊतकों का नुकसान हो सकता है। इससे स्मृति समस्याएं और मस्तिष्क के पूरे कार्यप्रणाली में कमी आ सकती है। इसके अलावा वर्निक-कोर्साकॉफ सिंड्रोम जैसी शराब से संबंधित स्थितियां बन सकती है।
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इस तरह छुड़ा सकते हैं लत
समय रहते मस्तिष्क पर शराब के हानिकारक प्रभावों को पहचान ले। नशे की आदत को छुडाने के लिए संयम का अभ्यास बहुत जरूरी है। यदि शराब की लत नहीं छूट रही है, तो इस समस्या से निदान पाने के लिए समय रहते थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं। शराब छोड़ने से मानसिक स्वास्थ्य में कई तरह से सुधार होते हैं।