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स्वास्थ्य

ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाएं जरूर जानें ये बातें, वर्ना हो सकता है नुकसान

ब्रेस्ट में भारीपन न होने दें। जमा दूध को ब्रेस्ट पंप से बाहर निकाल दें। भारीपन और जकडऩ ज्यादा हो तो सिकाई करके ब्रेस्ट को खाली करें। कसे हुए कपड़े न पहनें।

Aug 03, 2016 / 01:41 pm

जयपुर। अगर आप ब्रेस्ट फीडिंग कराती हैं, तो कुछ जरूरी बातों की जानकारी आपको होनी चाहिए…

– बहुत ज्यादा टाइट ब्रा न पहनें। इससे बच्चे को ठीक से दूध पिला सकेंगी। टाइट ब्रा पहनने से रेशेज हो सकते हैं।
– आगे से खोली जा सकने वाली ब्रा पहनें।

– ब्रेस्ट फीडिंग से पहले ब्रेस्ट को बेबी वाइप से जरूर पोछें। ब्रेस्ट की मसाज करें। इससे सैगिंग की समस्या नहीं होगी।

– ब्रेस्ट पर बच्चे का थूक लगा रहने दें। इससे कोई नुकसान नहीं होता। निपल में कोई परेशानी है, तो घी
लगा लें।

– किसी हेयर रिमूवल क्रीम से ब्रेस्ट के बाल हटा लें। इससे फीड कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

– अगर दूध पिलाते समय निप्पल में दर्द हो, तो यह क्रैक के कारण हो सकता है।
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– कई बार ब्रेस्ट की किसी डक्ट में फीड रुकने से दूध इकट्ठा होने लगता है और गांठ-सी बन जाती हैं, जो दर्द करती है। इसमें इन्फेक्शन होने पर मवाद भर जाता है। इसकी ठीक से जांच करवा लें।
– ब्रेस्ट में भारीपन न होने दें। जमा दूध को ब्रेस्ट पंप से बाहर निकाल दें। भारीपन और जकडऩ ज्यादा हो तो सिकाई करके ब्रेस्ट को खाली करें। कसे हुए कपड़े न पहनें।

– स्तनपान ठीक से बच्चे को कराना जरूरी है। वरन कुछ दिनों में स्तनपान न कराने से दूध इकट्ठा होकर कई दिक्कतें पैदा कर सकता है। ऐसा होने पर बुखार हो सकता है।
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– लंबे समय तक स्तनपान न करवाने से दूध पस में बदल सकता है। कई बार ऐसे में सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है।
ब्रेस्ट फीड है बेहद जरूरी

– बच्चे में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

– मां और बच्चे की बॉडिंग बनती है

– शुरुआती 6 महीने में गर्भनिरोधक का काम करती है ब्रेस्ट फीडिंग
– स्तन कैंसर और अन्य बीमारियों से बचाव

ब्रेस्ट फीड नहीं कराएंगी तो

– बच्चे के बड़े होने पर रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। छोटी-छोटी बीमारियां बच्चे को जल्दी घेर लेती हैं
– कई बच्चे बचपन से ही मोटापे के शिकार हो जाते हैं

– बच्चों का आईक्यू लेवल कम रह जाता है

सच ये है

– 50 फीसदी बच्चों को 6 माह तक मां का दूध नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में 49.9 बच्चों को मां का दूध नसीब नहीं हो पाता है। केन्द्र सरकार के रेपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रन 2013-14 के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 50.2 फीसदी और शहरी क्षेत्र में 48.9 फीसदी बच्चों को ही 6 महीने तक स्तनपान नसीब हुआ।
– विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। स्तनपान कराने में भारत विश्व के 150 देशों में 78 वें नंबर पर है। जन्म के पहले घंटे में केवल 44.6 फीसदी शिशुओं को मां का दूध मिलता है।

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