Malaria vaccine breakthrough नई वैक्सीन पर हुआ शोध
नीदरलैंड के लीडन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और रैडबाउड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने एक नई लेट-लिवर-स्टेज वैक्सीन का परीक्षण किया। यह वैक्सीन, जिसे जीए2 नाम दिया गया है, एक जेनेटिकली मॉडिफाइड प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम पैरासाइट पर आधारित है। Malaria vaccine क्लीनिकल ट्रायल का विवरण
अध्ययन में 25 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया गया, जिन्हें पहले कभी मलेरिया नहीं हुआ था। प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटा गया:
- जीए2 समूह (10 प्रतिभागी)
- जीए1 समूह (10 प्रतिभागी)
- प्लेसबो समूह (5 प्रतिभागी)
तीनों समूहों को 28 दिन के अंतराल पर तीन बार टीकाकरण किया गया। इसके बाद, मच्छरों के जरिए मलेरिया संक्रमण के संपर्क में लाया गया।
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अंतिम टीकाकरण के तीन हफ्ते बाद परीक्षण के परिणाम उत्साहजनक रहे:
- जीए2 समूह के 89% प्रतिभागियों को मलेरिया से सुरक्षा मिली।
- जीए1 समूह में यह आंकड़ा मात्र 13% था।
- प्लेसबो समूह के किसी भी प्रतिभागी को सुरक्षा नहीं मिली।
टीकाकरण के बाद मिली मजबूत सुरक्षा
जीए2 समूह के किसी भी प्रतिभागी में टीकाकरण के बाद मलेरिया संक्रमण (Malaria vaccine) नहीं पाया गया। इसने यह साबित कर दिया कि यह वैक्सीन न केवल प्रभावी है, बल्कि पूरी तरह सुरक्षित भी है।
इम्यून प्रतिक्रिया में सुधार
शोधकर्ताओं ने पाया कि जीए2 समूह ने मजबूत प्रो-इन्फ्लेमेटरी इम्यून प्रतिक्रिया दिखाई। जबकि जीए1 और जीए2 दोनों समूहों में समान स्तर के एंटीबॉडी बने, जीए2 समूह ने अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की। यह सुरक्षा मुख्यतः सेलुलर इम्यून सिस्टम की बेहतर प्रतिक्रिया के कारण संभव हो पाई। यह भी पढ़ें : सर्दियों में कैसे खाएं बादाम, भीगे हुए या सूखे? मलेरिया पर नियंत्रण की उम्मीद
इस अध्ययन के नतीजे न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह वैक्सीन मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी। अब इस वैक्सीन के बड़े पैमाने पर ट्रायल की तैयारी की जा रही है, ताकि इसे दुनिया के प्रभावित क्षेत्रों में उपयोग किया जा सके।
मलेरिया से बचाव के लिए इस वैक्सीन का विकास स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यदि यह व्यापक स्तर पर सफल रही, तो यह न केवल लाखों जिंदगियां बचाएगी, बल्कि मलेरिया जैसी बीमारी को खत्म करने में मील का पत्थर साबित होगी।