ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार
ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। खून की नसों में क्लॉटिंग होने से दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी होती है, जो इस्केमिक स्ट्रोक की वजह बन सकता है। वहीं, दिमाग के अंदर खून की नस फटने से हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज होने की आशंका अधिक रहती है। ऐसे में बदलते मौसम में उन लोगों को सावधान रहने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, जो पहले से ही किसी क्रॉनिक बीमारी से जूझ रहे हैं क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही खतरे में डाल सकती है। इसलिए सावधानी बरतें।
इन्हें खतरा ज्यादा, क्या लक्षण आते हैं डायबिटीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्राल रोगियों, गर्भवती महिलाएं, 55 साल से ज्यादा वाले लोग और जिनमें खून की कमी है उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ब्रेन स्ट्रोक होने पर हाथ-पैर के मूवमेंट में परेशानी, सोचने और समझने की ताकत कम होना, ठीक तरीके से बोल न पाना, सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द के साथ-साथ उल्टी आदि लक्षण दिख सकते हैं।
शरीर में होता है ऐसे बदलाव सर्दी बढ़ने पर खून की नलियों में सिकुड़न आने लगती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और शरीर की मांसपेशियां भी ठीक तरीके से काम नहीं करती हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक यानी लकवा हो सकता है। सर्दी में अन्य मौसम की तुलना में थोड़ा कम पानी पीते हैं, जिससे बॉडी डिहाइड्रेट रहती है। इससे खून गाढ़ा हो सकता है। इसका रिस्क बीपी-शुगर के मरीजों में ज्यादा रहता है।
इन बातों का रखें ध्यान
— जिन्हें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हार्ट की समस्या है वे दवाइयां नियमित लें और बीमारी को नियंत्रित रखें। बीपी की रात की दवा न छोड़ें। — ज्यादा ठंडक है तो हर उम्र के लोग सुबह व्यायाम से बचें। धूप निकलने के बाद व्यायाम करें।
— नियमित व्यायाम करते रहें। सर्दी में खुले में हैवी वर्कआउट न करें। सर्दी में कपड़े पर्याप्त पहनें। — गोल्डन ऑवर 4.30 घंटे का होता है लेकिन लकवा का लक्षण दिखे तो जितना जल्दी हो सके ऐसे हॉस्पिटल में दिखाएं जहां न्यूरो के डॉक्टर हैं। इससे रिकवरी तेजी से होती है।
— सर्दी में भी 2-3 लीटर तक पानी पीएं। मौसमी फल, सब्जियां खाएं। फास्ट फूड आदि से बचें। — किसी प्रकार का नशा करना जोखिम को कई गुना बढा़ता है।