भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि हेंक बेकेडम ने केरल की त्वरित प्रतिक्रिया को आपातकालीन तैयारियों में अपने पिछले अनुभव और निवेश की तारीफ की। उन्होंने कहा कि केरल ने जिला स्तरपर निगरानी, जोखिम संचार और सामुदायिक सहभागिता जैसे उपायों को अपनाकर संक्रमण को फैलने से रोक दिया। यहां विदेश से आने जाने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। राज्य में प्रति वर्ष 1० लाख से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं। इसके 3.3 करोड़ की आबादी में प्रत्येक ६ मेंसे एक व्यक्ति है और यहां के सैकड़ों छात्र चीन में पढ़ते हैं।
-09 देशों खासकर ईरान, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे वैश्विक hotspot देशों से आने वाले नागरिकों की हवाई अड्डों पर गहन स्क्रीनिंग की गई
-10 फरवरी से ही केरल ने अपने विदेश से आए लोगों को 14 days तक quarantien रहने के लिए कड़े निर्देश दिए, भारत में प्रतिबंध लगाने से दो हफ्ते पहले
-12 विदेशी नागरिकों को एक विदेश यात्रा के टेकऑफ़ से पहले रोक लिया गया क्योंकि उन्होंने quarantien की अवधि पूरी नहीं की थी।
-900 स्थानीय लोगों को फरवरी के अंतिम सप्ताह में इटली से आए स्थानीय दंपति के संपर्कमें आने वाले लोगोंको जिन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को अपने आगमन की जानकारी नहीं दी थी। इतना ही नहीं विदेशी पर्यटकों और अन्य गैर-निवासियों को सेल्फ-आइसोलेशन और क्वारनटाइन करने के लिए अस्थायी वारनटाइन आश्रय स्थापित किए गए
-30 सालों से यहां कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है और राज्य ने सार्वजनिक शिक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल में भारी निवेश किया है। केरल में सबसे अधिक साक्षरता दर है और देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली भी है। यहां नवजात मृत्यु दर, जन्म प्रतिरक्षण और प्राथमिक देखभाल सुविधाओं में विशेषज्ञों की उपलब्धता पर भारत में रैंकिंग सबसे ऊपर है।
-13000 से अधिक परीक्षण किए थे राज्य ने अप्रैल के पहले सप्ताह के दौरान जो देशभर में किए गए सभी परीक्षणों का 10 फीसदी हिस्सा था। आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य भी तबतक केवल 6000 परीक्षण ही किए गए थे जबकि तमिलनाडु ने 8000 से अधिक परीक्षण किए थे।
-2.6 अरब डॉलर के आर्थिक पैकेज के साथ केरल ने तेजी से परीक्षण किट तैनात करने का बीड़ा उठाया। इसी सप्ताह ्रकेरल ने वॉक-इन परीक्षण सुविधाएं शुरू कीं जो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षात्मक गियर की आवश्यकता को कम करती हैं। इतना ही नहीं राज्यसरकार ने लॉकडाउन के दौरान घरों में इंटरनेट की नेटवर्क क्षमता बढ़ाने के लिए सेवा प्रदाताओं के साथ संपर्क किया और दो महीने की अग्रिम पेंशन का वादा किया।