World mental health day: 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग में बढ़ रहे मामले, कहीं आपमें भी ताे नहीं ये छह लक्षण
इस बीच डॉक्टर राजकुमारी बंसल शनिवार को मीडिया के सामने आई। उन्होंने हाथरस जाने और पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद करने की बात मानी। माना जा रहा है कि एसआइटी जांच रिपाेर्ट के बाद अब डॉक्टर की मुश्किल भी बढ़ सकती है। प्रकरण को लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन भी डॉक्टर से जवाब मांगने की तैयारी कर रहा है।बताया जा रहा है कि डॉक्टर बंसल मूल रूप से ग्वालियर की रहने वाली हैं। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से फॉर्माकोलॉजी में पीजी करने के बाद उन्होंने करीब छह माह तक फोरेसिंक मेडिसिन विभाग में कार्य किया। करीब ढाई वर्ष से फॉर्माकोलॉजी विभाग में बतौर डेमोस्ट्रेटर रही हैं। तीन से छह अक्टूबर के बीच डॉक्टर अवकाश पर थी। इसी दौरान उनके हाथरस में होने की जानकारी है। सात अक्टूबर को विभाग में उन्हाेंने उपस्थिति दर्ज कराई। शनिवार को भी वह अवकाश पर थी। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर पीके कसार का कहना है कि उन्हे मामले में जानकारी मिली है। इसी आधार पर अब डॉक्टर से स्पष्टीकरण लिया जाएगा।
डॉक्टर बंसल का कहना है कि 29 सितंबर को पीड़िता की मौत के बाद से पूरा सिस्टम एक तरफ लग रहा था। सही तथ्य सामने नहीं आ रहे थे तो मानवीय संवेदनाओं के आधार पर उन्हाेंने महसूस किया कि पीड़िता के परिजनों से मिलकर वास्तविकता जानना चाहिए। इसके बाद चार अक्टूबर को 11.30 बजे वह पीड़िता के गांव पहुंची और पीड़िता के परिजन से मिली। डॉक्टर कहती हैं कि वहां उनसे मेरा आत्मीय रिश्ता बन गया। मुझे लगा मेरी वजह से उन्हें मोरल सपोर्ट मिल रहा है तो मैं रुक गई। उन्हाेंने यह भी कहा है कि मेरे रहते प्रियंका गांधी वहां नहीं आईं थी। कोई कपड़े और ज्यादा सामान लेकर नहीं गई थी, इसलिए जब रुकने को कहा गया तो एक ही कपड़े में तीन दिन तक उनके घर में रही। उनसे वादा किया कि जहां जरूरत पड़ेगी साथ हूं। उन्हाेंने यह भी कहा कि दंगा फैलाने के षडयंत्र के सभी आरोप निराधार हैं।