बीमा कंपनी का आरोप था कि नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों में कृषि विभाग की ओर से फसल कटाई के जो प्रयोग हुए हैं, उसमें फसल घर से लाकर उनकी तुलाई की गई है। औसत उपज भी इतनी नहीं रही है। इस तरह के आरोप लगाकर कंपनी ने इन सभी पटवार मंडलों का सेटलमेंट भी नहीं किया। वहीं किसान खरीफ 2019 में हुए फसल खराबे के अनुपात में बीमा क्लेम जारी करने की मांग लगातार कर रहे थे। परंतु बीमा कंपनी लगातार इस मामले को उलझाए हुए थी।
खरीफ 2019 में नोहर व भादरा में मौसम खराब होने के कारण मूंग, मोठ, ग्वार, बाजरा, कपास आदि फसलों को नुकसान हुआ था। एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया को बीमा करने के लिए अधिकृत किया गया था। इसमें कई किसानों को कुछ समय बाद ही क्लेम जारी कर दिया गया। लेकिन उक्त १२ पटवार मंडलों के किसानों का क्लेम रोक लिया गया था। जानकारी के अनुसार भादरा तहसील के भनाई, नोहर के चक सरदारपुरा, देइदास, गोगामेड़ी, जसाना, मेघाना, रामगढ़ सहित आसपास के इलाकों में हुए फसल कटाई प्रयोग को लेकर बीमा कंपनी ने आक्षेप लगाए थे। इसमें नियमानुसार थ्रेसिंग की प्रक्रिया नहीं होने तथा औसत उत्पादन भी ठीक से नहीं निकाले जाने का आरोप था।
-हनुमानगढ़ जिले में कुल ०७ तहसीलें हैं।
-इसमें ज्यादा फसल बीमा क्लेम नोहर व भादरा क्षेत्र में आ रहा है।
-नोहर तहसील में खरीफ 2019 में कुल 48537 किसानों ने बीमा करवाया था।
-खरीफ २०१९ में नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों का बीमा क्लेम रोक लिया गया था।
-इसमें नोहर के करीब ५५०० व भादरा के १५०० किसान थे।
-इसमें अब दोनों तहसील के किसानों को २५ करोड़ से अधिक का क्लेम जारी किया गया है।
पहले रोका, अब जारी
खरीफ २०१९ में नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों का बीमा कंपनी स्तर पर रोका गया भुगतान अब जारी कर दिया गया है। इन पटवार मंडलों के प्रभावित किसानों के लिए २५ करोड़ का क्लेम कंपनी ने जारी किया है। किसानों के खातों में राशि आने लगी है।
-दानाराम गोदारा, उप निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़
सचेत रहने की जरूरत
हनुमानगढ़ जिले के नोहर व भादरा तहसील के विवादित १२ पटवार मंडलों में खरीफ २०१९ के बीमा क्लेम का पैसा किसानों के खातों में जमा होने लगा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात करें तो इसकी अहमियत नोहर व भादरा के किसानों ने बखूबी समझा है। तभी तो बीमा कंपनियों के सभी तरह की चाल को उल्टा करते हुए यहां के किसानों ने अपने पसीने का मोल हासिल किया है। जिले के अन्य तहसीलों में भी किसानों को इसी तरह जागरूक होने की जरूरत है। सरकार की योजनाएं जब शुरू होती है तो इसका मकसद अंतिम छोर पर बैठे हर व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना होता है। सक्षम लोगों व जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें योजना से जोड़ें। यदि किसी तरह की अड़चन आए तो उसे दूर करने के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके संघर्ष में सहभागी बनें। नोहर व भादरा के विवादास्पद पटवार मंडलों में इन दोनों तहसील के लोगों के संघर्ष का नतीजा ही कहेंगे कि राज्य व केंद्र सरकार दोनों ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को तत्काल भुगतान करने के लिए पाबंद किया है। क्लेम राशि मिलने के बाद किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। इनके चेहरे पर यह खुशी कायम रहे इसके लिए भविष्य में भी सरकारी तंत्र को इसी तरह से सचेत रहने की जरूरत है।