scriptराजस्थान के पद्मेश कुमार ‘किसान’ ने शुरू किया ऐसा अभियान, अब तक 25 हजार लोगों ने ली शपथ | Padmaesh Kumar of Hanumangarh, Rajasthan campaign to stop mrityu bhoj has now become a social movement | Patrika News
हनुमानगढ़

राजस्थान के पद्मेश कुमार ‘किसान’ ने शुरू किया ऐसा अभियान, अब तक 25 हजार लोगों ने ली शपथ

राजस्थान के पद्मेश कुमार ‘किसान’ ने मृत्युभोज छोड़ो अभियान शुरू किया, जो कि अब बड़ा सामाजिक आंदोलन बन चुका है। प्रदेश के 17 जिलों और देशभर के कई राज्यों में 200 से अधिक स्वयंसेवक अभियान में सक्रिय हैं।

हनुमानगढ़Jan 13, 2025 / 10:21 am

Rakesh Mishra

mrityu bhoj

पत्रिका फोटो

मनोज गोयल
राजस्थान के हनुमानगढ़ के धांधूसर गांव से शुरू हुआ मृत्युभोज छोड़ो अभियान अब एक बड़े सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुका है। इसमें हजारों लोग शामिल हो चुके हैं। यह अभियान पूरे राज्य और देश के छह राज्यों में फैल रहा है।
यह मुहिम शुरू करने वाले पद्मेश कुमार ‘किसान’ ने बताया कि उन्होंने 2001 में अपने परिवार में हुई एक मृत्यु के दौरान मृत्युभोज नहीं करने के लिए परिजनों को समझाया तो शुरुआत में उनका विरोध हुआ।
पद्मेश ने इस कुप्रथा के खिलाफ अपनी आवाज उठाना बंद नहीं किया। धीरे-धीरे उनके प्रयासों का असर हुआ और आज यह मुहिम राज्य भर में फैल चुकी है।

केस 1
गांव रामदेवरा, पायला कला (बालोतरा) के मघाराम बताते हैं कि मेरे सहित सगे भाई गेनाराम, केहना राम, व सत्ता राम की सहमति से पिता स्वरूपाराम गोदारा का मृत्युभोज नहीं किया। हमने शिक्षा के लिए 51 हजार रुपए दान दिए।
केस 2
गांव आगोलाई (जोधपुर) निवासी बलदेव सिंह का कहना है कि मृत्युभोज छोड़ो अभियान की प्रेरणा से गत वर्ष मेरे पिता के देहांत पर हमने मृत्युभोज नहीं किया। मैंने शिक्षा, गोशाला और पर्यावरण के लिए ढाई लाख रुपए दिए।
केस 3
बाड़मेर जिले की ग्राम पंचायत निंबलकोट की लाखोणियों मेघवालों की ढाणी के जेठाराम ने बताया कि माता हेमी देवी के देहांत पर मृत्युभोज नहीं किया। पुस्तकालय और पर्यावरण संरक्षण के लिए 44 हजार रुपए रुपए दान दिए।

स्वयंसेवकों का बड़ा नेटवर्क

राजस्थान के 17 जिलों और देशभर के कई राज्यों में 200 से अधिक स्वयंसेवक अभियान में सक्रिय हैं। इनमें हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जयपुर, टोंक, कोटा सहित कई जिले शामिल हैं।
पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भी अभियान का असर है। पद्मेश बताते हैं कि अब तक लगभग 25 हजार लोग मृत्युभोज त्यागने की शपथ ले चुके हैं।

अभियान के उद्देश्य

पद्मेश ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मृत्युभोज जैसी कुरीति को समाप्त करना और इसके स्थान पर शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और समाज के लिए उपयोगी कार्यों को बढ़ावा देना है। लोग मृत्यु के बाद शोक मनाने के बजाय समाज हित में सकारात्मक कदम उठाएं।

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