नहीं लाभ, वही समस्या
जिला स्तर पर शिक्षा संकुल व्यवस्था का शिक्षकों, अभिभावकों एवं विद्यार्थियों को लाभ नहीं मिल रहा है, उनको शिक्षा विभागीय कार्य के संबंध में अलग-अलग जगहों पर चक्कर काटने पड़ रहे हैं। छात्रावास भवन में फिलहाल सीडीईओ, डीईओ माध्यमिक मुख्यालय व समसा कार्यालय का संचालन किया जा रहा है। जाहिर है कि छात्रावास का निर्माण अस्थाई रिहायश के लिहाज से किया गया। वहां तीन-तीन कार्यालयों का संचालन टेढ़ी खीर है। जबकि डीईओ प्रारंभिक मुख्यालय का संचालन वहां से तीन-चार किलोमीटर दूर अन्यत्र हो रहा है।
जमीन ही नहीं मिली
स्थाई शिक्षा संकुल भवन निर्माण के लिए छह साल से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक भूमि ही नहीं मिल सकी है। जाहिर है कि जब बरसों बाद भूमि का ही आवंटन नहीं हो सका है तो संकुल का अपना भवन कैसे व कब तक बनेगा। हालांकि इस संबंध में कई बार शिक्षा अधिकारी मुख्यालय से पत्र व्यवहार कर चुके हैं।
प्रयास अच्छा, चढ़े सिरे
शिक्षा विभाग के सभी जिला स्तरीय दफ्तर एक ही छत के नीचे संचालित करने की मंशा से ‘शिक्षा संकुल’ का आइडिया अपनाया गया था। शिक्षा विभाग के ढांचे में वर्ष 2018 में जिला स्तर पर बदलाव किया गया था। इसके तहत ‘शिक्षा संकुल’ की तर्ज पर हर जिले में शिक्षा विभाग के सभी कार्यालय एक ही परिसर में संचालित किए जाने थे ताकि इन कार्यालयों में आने वाले लोगों को कई किलोमीटर के चक्कर नहीं काटने पड़े। इसीलिए रमसा व एसएसए का एकीकरण कर उसे समसा बनाया। यदि सभी कार्यालयों का एक ही परिसर में संचालन शुरू हो जाए तो शिक्षक, विद्यार्थी व अभिभावकों को तो लाभ होगा ही, साथ ही उप निदेशक भी सभी कार्यालयों की बेहतर मॉनीटरिंग कर सकेंगे