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हनुमानगढ़

किसान अड़े तो हुकूमत को समझ में आई बीमा कंपनियों की पैंतरेबाजी

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हनुमानगढ़. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले के हजारों किसान लाभान्वित हो रहे हैं। दूसरी तरफ बीमा कंपनियां भी अपनी जेब भरने के लिए सभी तरह के पैंतरे अपना रही है। कुछ ऐसी ही पैंतरेबाजी जिले में खरीफ 2019 के दौरान अधिकृत बीमा कंपनी ने की। मगर किसानों की जागरुकता के चलते हुकूमत को सारी हकीकत समझ में आई तो अब बीमा कंपनी को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
 

हनुमानगढ़Jun 16, 2021 / 09:00 am

Purushottam Jha

किसान अड़े तो हुकूमत को समझ में आई बीमा कंपनियों की पैंतरेबाजी

किसान अड़े तो हुकूमत को समझ में आई बीमा कंपनियों की पैंतरेबाजी

किसान अड़े तो हुकूमत को समझ में आई बीमा कंपनियों की पैंतरेबाजी
-खरीफ 2019 में फसलों को हुए नुकसान के अनुपात में किसानों के खातों में अब 25 करोड़ का आया क्लेम
-धरतीपुत्रों को मिला पसीने का मोल, कंपनी ने बहानेबाजी करके पूर्व में भुगतान से कर दिया था इनकार

हनुमानगढ़. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले के हजारों किसान लाभान्वित हो रहे हैं। दूसरी तरफ बीमा कंपनियां भी अपनी जेब भरने के लिए सभी तरह के पैंतरे अपना रही है। कुछ ऐसी ही पैंतरेबाजी जिले में खरीफ 2019 के दौरान अधिकृत बीमा कंपनी ने की। मगर किसानों की जागरुकता के चलते हुकूमत को सारी हकीकत समझ में आई तो अब बीमा कंपनी को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य व केंद्र सरकार स्तर पर बीमा कंपनी की आपत्ति को खारिज करने के बाद हाल में किसानों के खातों में क्लेम की राशि जमा होने लगी है। बीमा कंपनी ने करीब २५ करोड़ का क्लेम जारी कर दिया है।
प्रकरण के अनुसार जिले में खरीफ 2019 में मौसम की बेरुखी से प्रभावित फसलों का सेटलमेंट करने में बीमा कंपनी लगातार आनाकानी कर रही थी। अनुबंधित बीमा कंपनी ने सरकारी सिस्टम की ओर से तैयार किए गए फसल कटाई प्रयोग को चुनौती देते हुए नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों के किसानों को क्लेम देने से मना कर दिया था। करीब डेढ़ वर्ष पहले कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक स्तर पर बीमा कंपनी के प्रतिनिधि को निर्देशित किया गया कि वह सांख्यिकी विभाग के स्थानीय सहायक निदेशक विनोद कुमार गोदारा से मिलकर फसल कटाई प्रयोग की तथ्यात्मक रिपोर्ट प्राप्त कर इस मामले को निपटाएं। इसके बाद से नोहर के १० व भादरा के दो पटवार मंडल में फसल कटाई प्रयोग को लेकर बीमा कंपनी और सरकारी तंत्र में विवाद की स्थिति बनी हुई थी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार नोहर तहसील में खरीफ 2019 में कुल 48537 किसानों ने बीमा करवाया था। इनमें 40448 किसानों को 263 करोड़ का क्लेम जारी कर दिया गया था। जबकि नोहर क्षेत्र के विवादित 1० पटवार मंडलों के 5511 किसानों व भादरा के दो पटवार मंडलों के करीब १५०० किसानों का क्लेम फसल कटाई प्रयोग सही नहीं होने के आधार पर रोक लिया गया था। इसके बाद किसानों ने लगातार आंदोलन जारी रखा। बात राज्य व केंद्र सरकार के कार्यालयों तक पहुंची तो दोनों सरकारों ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए किसानों के पक्ष में फैसला देते हुए तत्काल रोके गए क्लेम का भुगतान करने का निर्देश जारी किया। इसके बाद अब बीमा कंपनी रोके गए क्लेम का भुगतान करने में लग गई है।
इसलिए रोका था भुगतान
बीमा कंपनी का आरोप था कि नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों में कृषि विभाग की ओर से फसल कटाई के जो प्रयोग हुए हैं, उसमें फसल घर से लाकर उनकी तुलाई की गई है। औसत उपज भी इतनी नहीं रही है। इस तरह के आरोप लगाकर कंपनी ने इन सभी पटवार मंडलों का सेटलमेंट भी नहीं किया। वहीं किसान खरीफ 2019 में हुए फसल खराबे के अनुपात में बीमा क्लेम जारी करने की मांग लगातार कर रहे थे। परंतु बीमा कंपनी लगातार इस मामले को उलझाए हुए थी।
इन फसलों को हुआ था नुकसान
खरीफ 2019 में नोहर व भादरा में मौसम खराब होने के कारण मूंग, मोठ, ग्वार, बाजरा, कपास आदि फसलों को नुकसान हुआ था। एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया को बीमा करने के लिए अधिकृत किया गया था। इसमें कई किसानों को कुछ समय बाद ही क्लेम जारी कर दिया गया। लेकिन उक्त १२ पटवार मंडलों के किसानों का क्लेम रोक लिया गया था। जानकारी के अनुसार भादरा तहसील के भनाई, नोहर के चक सरदारपुरा, देइदास, गोगामेड़ी, जसाना, मेघाना, रामगढ़ सहित आसपास के इलाकों में हुए फसल कटाई प्रयोग को लेकर बीमा कंपनी ने आक्षेप लगाए थे। इसमें नियमानुसार थ्रेसिंग की प्रक्रिया नहीं होने तथा औसत उत्पादन भी ठीक से नहीं निकाले जाने का आरोप था।
…फैक्ट फाइल….
-हनुमानगढ़ जिले में कुल ०७ तहसीलें हैं।
-इसमें ज्यादा फसल बीमा क्लेम नोहर व भादरा क्षेत्र में आ रहा है।
-नोहर तहसील में खरीफ 2019 में कुल 48537 किसानों ने बीमा करवाया था।
-खरीफ २०१९ में नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों का बीमा क्लेम रोक लिया गया था।
-इसमें नोहर के करीब ५५०० व भादरा के १५०० किसान थे।
-इसमें अब दोनों तहसील के किसानों को २५ करोड़ से अधिक का क्लेम जारी किया गया है।
……..वर्जन….
पहले रोका, अब जारी
खरीफ २०१९ में नोहर व भादरा के १२ पटवार मंडलों का बीमा कंपनी स्तर पर रोका गया भुगतान अब जारी कर दिया गया है। इन पटवार मंडलों के प्रभावित किसानों के लिए २५ करोड़ का क्लेम कंपनी ने जारी किया है। किसानों के खातों में राशि आने लगी है।
-दानाराम गोदारा, उप निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़
……पत्रिका व्यू……
सचेत रहने की जरूरत
हनुमानगढ़ जिले के नोहर व भादरा तहसील के विवादित १२ पटवार मंडलों में खरीफ २०१९ के बीमा क्लेम का पैसा किसानों के खातों में जमा होने लगा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात करें तो इसकी अहमियत नोहर व भादरा के किसानों ने बखूबी समझा है। तभी तो बीमा कंपनियों के सभी तरह की चाल को उल्टा करते हुए यहां के किसानों ने अपने पसीने का मोल हासिल किया है। जिले के अन्य तहसीलों में भी किसानों को इसी तरह जागरूक होने की जरूरत है। सरकार की योजनाएं जब शुरू होती है तो इसका मकसद अंतिम छोर पर बैठे हर व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना होता है। सक्षम लोगों व जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें योजना से जोड़ें। यदि किसी तरह की अड़चन आए तो उसे दूर करने के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके संघर्ष में सहभागी बनें। नोहर व भादरा के विवादास्पद पटवार मंडलों में इन दोनों तहसील के लोगों के संघर्ष का नतीजा ही कहेंगे कि राज्य व केंद्र सरकार दोनों ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए किसानों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को तत्काल भुगतान करने के लिए पाबंद किया है। क्लेम राशि मिलने के बाद किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। इनके चेहरे पर यह खुशी कायम रहे इसके लिए भविष्य में भी सरकारी तंत्र को इसी तरह से सचेत रहने की जरूरत है।

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