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हनुमानगढ़

हक हासिल करने के लिए फिर मांग लिखा बैनर, गले में लटका बैंक शाखा के सामने खड़ा हुआ कर्मचारी

हक हासिल करने के लिए फिर मांग लिखा बैनर, गले में लटका बैंक शाखा के सामने खड़ा हुआ कर्मचारी- सेवानिवृत कर्मचारी का विरोध जताने का अनूठे तरीकाहनुमानगढ़. अपनी मांगों की तरफ ध्यान आकर्षित करवाने के लिए एक सेवानिवृत कर्मचारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की जंक्शन धानमंडी स्थित शाखा के सामने मांग लिखा बैनर गले में लटका खड़ा हो गया।

हनुमानगढ़Mar 09, 2022 / 09:31 pm

adrish khan

हक हासिल करने के लिए फिर मांग लिखा बैनर, गले में लटका बैंक शाखा के सामने खड़ा हुआ कर्मचारी

हक हासिल करने के लिए फिर मांग लिखा बैनर, गले में लटका बैंक शाखा के सामने खड़ा हुआ कर्मचारी


हक हासिल करने के लिए फिर मांग लिखा बैनर, गले में लटका बैंक शाखा के सामने खड़ा हुआ कर्मचारी
– सेवानिवृत कर्मचारी का विरोध जताने का अनूठे तरीका
हनुमानगढ़. अपनी मांगों की तरफ ध्यान आकर्षित करवाने के लिए एक सेवानिवृत कर्मचारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की जंक्शन धानमंडी स्थित शाखा के सामने मांग लिखा बैनर गले में लटका खड़ा हो गया। जैनेन्द्र कुमार झाम्ब नामक इस सेवानिवृत कर्मचारी ने पिछले साल नवंबर माह में भी अपनी मांगों को लेकर इसी बैंक शाखा के सामने इसी तरह खड़े होकर विरोध दर्ज कराया था। सेवानिवृत कर्मचारी के अनुसार पूर्व में दर्ज कराए गए विरोध के बाद उसकी कुछ समस्याओं का समाधान हुआ। शेष मांगों को हल करवाने के लिए वह दोबारा मांग लिखा बैनर गले में डालकर बैंक शाखा के सामने खड़े होने को मजबूर हुआ है। बुधवार को भी जैनेन्द्र झाम्ब ने चार सूत्री मांगें लिखा बैनर हाथों में पकड़कर सेवानिवृत्त कर्मचारी ने बैंक शाखा के सामने खड़े होकर अधिकारियों का ध्यान मांगों की तरफ आकर्षित करने का प्रयास किया। जैनेन्द्र कुमार झाम्ब ने बताया कि उसने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की जंक्शन धानमंडी स्थित शाखा से 3 अप्रेल 2021 को स्वैच्छिक सेवानिवृति ली थी। तब वह विशेष सहायक के पद पर था। वह भारतीय स्टेट बैंक प्रशासन से चार मांगें कर रहा है। झाम्ब ने बताया कि बैंक की ओर से सेवानिवृति पर अवकाश नकदीकरण में हुई असाधारण देरी (चार माह से अधिक) के लिए ब्याज का भी भुगतान नहीं किया गया। ऐसा उदाहरण है कि आकस्मिक देहावसान पर बैंक एक माह से भी कम समय में अवकाश नकदीकरण कर चुका है। जबकि उसकी सेवानिवृत्ति तो नियमानुसार नोटिस देकर हुई थी। सब जानते हैं कि देहावसान बिना नोटिस दिए होता है। इस असाधारण देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं की गई। उसके पुत्र का शिक्षा ऋण खाता अभी भी स्टाफ रेट ऑफ इंटरेस्ट पर नहीं हुआ है। उसे एसबीआई की गरिमा के अनुरूप भाषा में लिखा सेवानिवृत्ति आदेश भी नहीं दिया गया। यदि 2 अप्रेल 2021 को दिया गया आदेश एसबीआई की गरिमा के अनुरूप है तो यह बताया जाए कि 3 अप्रेल 2021 को कार्य समाप्ति पर उसकी ओर से निवेदन करने के बावजूद उसे कोई आदेश क्यों नहीं दिया गया था। भेदभाव इस हद तक हुआ कि एक ही दिन में दो कार्मिकों का वेतन एरियर बनाया गया, एक को भुगतान हुआ जबकि दूसरे का भुगतान रोके रखा गया। न विषयों को लेकर बीकानेर डीजीएम स्तर तक भेजे गए ई-मेल आज भी प्रभावहीन हैं। विवश होकर उसे पुन: बैनर उठाकर बैंक शाखा के सामने खड़ा होना पड़ रहा है।
क्या बोले शाखा प्रबंधक
उधर, एसबीआई शाखा प्रबंधक ने कहा कि जैनेन्द्र झाम्ब बैंक के अच्छे कर्मचारी रहे हैं। बैंक आज भी उनका सम्मान करता है। बेटे का शिक्षा ऋण खाता स्टाफ रेट ऑफ इंटरेस्ट पर नहीं करने के मुद्दे पर बैंक मैनेजर का कहना था कि जैनेन्द्र झाम्ब की ओर से पब्लिक रेट में आवेदन किया गया है। इसलिए यह संभव नहीं है। दो कार्मिकों में से एक कार्मिक को एरियर का भुगतान नहीं किए जाने के सवाल के जवाब में शाखा प्रबंधक ने कहा कि करीब दो माह पहले एक कार्मिक को एरियर का भुगतान कर दिया था। दूसरे कार्मिक का किसी कारण भुगतान रह गया था, उसे आज ही एरियर का भुगतान कर दिया गया है। साथ ही बैंक शाखा प्रबंधक का कहना था कि उन्होंने जैनेन्द्र कुमार झाम्ब से उनसे मिलने का आग्रह किया था लेकिन वे एकबार भी उनके पास नहीं आए।

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