scriptRajasthan : किसान सतर्क रहें, इस बीमारी से गेहूं की फसल को हो सकता है भारी नुकसान, बचना है तों करें ये 2 काम | Rajasthan Farmers should be alert this disease can cause huge loss to wheat crop do these 2 things | Patrika News
हनुमानगढ़

Rajasthan : किसान सतर्क रहें, इस बीमारी से गेहूं की फसल को हो सकता है भारी नुकसान, बचना है तों करें ये 2 काम

मौसम इस बार गेहूं की फसल के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। राजस्थान के हनुमानगढ़ में रात का तापमान 7-13 डिग्री तथा दिन का 15-24 डिग्री सेल्सियस के मध्य हो रहा है। तो किसान सतर्क रहें। बचाव कार्यों पर ध्यान दें नहीं तो इस बीमारी से गेहूं की फसल चट हो जाएगी।

हनुमानगढ़Dec 25, 2023 / 10:42 am

Sanjay Kumar Srivastava

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wheat crop Rajasthan

हनुमानगढ़ जिले में अबकी बार 2 लाख हेक्टैयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं की बिजाई हुई है। इस फसल की अच्छी पैदावार हो, इसके लिए विभागीय अधिकारियों को तकनीकी जानकारी देने में जुटे हुए हैं। गेहूं फसल में येलो रस्ट बीमारी होने पर 70 प्रतिशत तक नुकसान की आशंका रहती है। रात का तापमान 7-13 डिग्री तथा दिन का 15-24 डिग्री सेल्सियस के मध्य होने और आद्रता 85-100 प्रतिशत के मध्य होने पर उक्त बीमारी के फैलने की आशंका रहती है। शुरू की अवस्था में गेहूं के पौधे की पत्तियों पर आलपीन के सिरे जैसे छोटे-छोटे चमकीले पीले रंग के उभरे हुए धब्बे धारियों में दोनों तरफ दिखाई देते हैं। जो बाद में पीसी हुई हल्दी जैसे चूर्ण में बदल जाते हैं। पत्तियों को अंगुली से छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है। खेत में चलने पर पाउडर कपड़ों पर लग जाता है। इस रोग के गंभीर होने पर तना, बालियों और दानों को नुकसान करता है। बाद में बहुत से धब्बे आपस में मिल जाते हैं। पत्तियों की बाहरी अवस्था फट जाती है। पीला चूर्ण नीचे जमीन पर दिखाई देने लगता है। गेहूं में पोषक तत्वों की कमी से पत्तियां पीली हो सकती है। लेकिन पत्तियों पर उभरे हुए धब्बे येलो रस्ट की निशानी होती है।

इसलिए किसानों को इस मौसम में खेत का नियमित निरीक्षण करना चाहिए। खेत में इस रोग का प्रथम लक्षण दिखाई देने पर प्रोपिकोनोजोल अथवा टेबुकोनाजोल रसायन का छिड़काव खेत में करना चाहिए। किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि छिड़काव विभागीय सलाह के अनुसार करें।


नुकसान से बचने को जरूर करवाएं बीमा

फसलों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा अनिवार्य रूप से करवाना चाहिए। विपरीत मौसम में फसल खराब होने पर किसानों को फसल का बीमा मिलने पर काफी राहत मिलती है। बीते वर्षों में करोड़ाें का क्लेम आने से किसानों को बहुत हद तक राहत मिली है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार आज के समय की बात करें तो खेती कार्य अत्यंत ही जोखिम भरा हो गया है। ऐसे में फसल बीमा किसानों के लिए जरूरी है।

पीएम फसल बीमा की प्रीमियम जानें

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पीएम फसल बीमा के लिए जिले में गेहूं फसल का प्रीमियम 1388.63 पैसे निर्धारित किया गया है। सरसों के लिए 1373.79 पैसे, जौ के लिए 935.61 पैसे, चना के लिए 609.63 पैसे, तारामीरा के लिए 375.42 पैसे और पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा अंतर्गत आलू के लिए 7260 रुपए, मटर के लिए 4275 रुपए, फूलगोभी के लिए 4275 रुपए प्रति हैक्टेयर के हिसाब प्रीमियम निर्धारित किया गया है। चालू रबी सीजन की फसलों का बीमा किसान 31 दिसंबर 2023 तक कर सकते हैं।

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नियमित करें निरीक्षण

कृषि विभाग के सहायक निदेशक बीआर बाकोलिया के अनुसार वर्तमान मौसम, रबी फसलों के लिए बहुत नाजुक है। इस वातावरण में गेहूं की फसल का विशेष ध्यान रखना होता है। किसानों को खेत का नियमित निरीक्षण करना चाहिए। संभावित नुकसान से बचने के लिए जिले के किसानों को फसल बीमा जरूर करवाना चाहिए।

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