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हनुमानगढ़ में प्रदूषण के खिलाफ मुखर हुए लोग,कलक्ट्रेट घेर जताया रोष

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हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित फैक्ट्रियों का अपशिष्ट खुले में प्रवाहित करने से नागरिकों में रोष है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं व कैमिकल युक्त पानी से आमजन में फैल रही बीमारियों के विरोध में लोगों ने बुधवार को कलक्ट्रेट का घेराव किया।
 

हनुमानगढ़Jun 30, 2021 / 07:14 pm

Purushottam Jha

हनुमानगढ़ में प्रदूषण के खिलाफ मुखर हुए लोग,कलक्ट्रेट घेर जताया रोष

हनुमानगढ़ में प्रदूषण के खिलाफ मुखर हुए लोग,कलक्ट्रेट घेर जताया रोष

हनुमानगढ़ में प्रदूषण के खिलाफ मुखर हुए लोग,कलक्ट्रेट घेर जताया रोष
-समस्या समाधान नहीं होने पर सात दिन बाद चक्काजाम की चेतावनी
हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित फैक्ट्रियों का अपशिष्ट खुले में प्रवाहित करने से नागरिकों में रोष है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं व कैमिकल युक्त पानी से आमजन में फैल रही बीमारियों के विरोध में लोगों ने बुधवार को कलक्ट्रेट का घेराव किया। नागरिकों ने कहा कि नहर के नजदीक अपशिष्ट जमा होने से हमेशा नहर में इस जहरीले पानी के मिलने की आशंका रहती है। बार-बार मांग करने के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से समस्या का समाधान करने में ढुलमुल रैवया अपनाया जा रहा है। खुंजा क्षेत्र के लोगों ने विरोधस्वरूप रोष मार्च निकाला। सभी चमकौर सिंह पार्क व सांसी धर्मशाला के पास एकत्रित हुए। नारेबाजी करते हुए कलक्ट्रेट के लिए रवाना हुए।
तहसीलदार दानाराम को ज्ञापन सौंपकर मांगों से अवगत करवाया। इससे पूर्व नागरिकों ने प्रदूषण फैला रहे फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कार्रवाई कर रीको क्षेत्र में ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शीघ्र करने की मांग रखी। प्रदूषण के खिलाफ पत्रिका में प्रकाशित समाचारों की कटिंग भी दिखाई। कलक्ट्रेट के समक्ष हुई सभा में जिला परिषद डायरेक्टर मनीष मक्कासर ने कहा कि फैक्ट्रियों का पानी खुले में प्रवाहित होने से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। खुंजा निवासी मनोज बड़सीवाल ने कहा कि फैक्ट्रियों के प्रदूषण से पानी के साथ हवा भी प्रदूषित हो रही है। शहरी क्षेत्र का अधिकतर भू-जल प्रदूषित होने के कारण पीने योग्य नहीं रहा है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी लोगों के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है। यहां पर फैक्ट्रियों के बाहर जगह-जगह गंदे पानी के तालाब बन गए हैं, इन तालाबों से उठने वाली बदबू से यहां के लोगों का जीना मुहाल हो गया है। पार्षद अब्दुल हाफिज, स्वर्ण सिंह व संजय सांसी ने एक स्वर में कहा कि यह राजनीति करने का विषय नहीं है। इसे गंदे पानी से कैंसर व चर्म रोग जैसी सैकड़ों बीमारियां फैल रही है। आमजन की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस विषय में छोटे स्तर से बड़े स्तर का प्रत्येक व्यक्ति दोषी है। प्रदूषण बोर्ड कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर जाता है और जिले के अन्य अधिकारी भी इस विषय पर गौर नहीं करते। हालात ऐसे बने हैं कि अंधा व्यक्ति भी बाइपास से निकलता है तो वहां की बदबू से वह अंदाजा लगा सकता है कि यहां कितना प्रदूषण फैला है। परंतु प्रशासन चुप बैठा है। जिला प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चेतावनी देकर सात दिन में इस समस्या का स्थाई हल निकालने की बात कही। ऐसा नहीं करने पर सात दिन बाद श्रीगंगानगर फाटक पर चक्काजाम करने की चेतावनी दी।
यह रहे मौजूद
प्रदूषित पानी को लेकर बुधवार दोपहर को नागरिकों ने रोष मार्च निकालकर प्रदूषण के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस दौरान गुरलाल सिंह, गुरप्रीत पहलवान, प्रीतम सिंह सैनी, पूर्व पार्षद गुरुदेव सिंह, रणजीत सिंह रामगढिय़ा, गुरुदेव बावरी, जसविंदर सिंह धारीवाल, सुखराम बागड़ी, गुरलाल सिंह सिद्धू, गुरजंट सिंह, करतार सिंह, राजकुमार, बलवीर शेखावत, रवि सिंगीकाट, विकास धूडिय़ा, सुरेंद्र रेगर, सोनू सेतिया, पंकज जालप, केआर पेंटर, सतनाम सिंह, बिंदर सिंह, दिलीप सिंह शेखावत, हंसराज वर्मा, सुनील यादव, मनीष यादव आदि सभा में मौजूद रहे।
यह है समस्या
जंक्शन के रीको क्षेत्र में सवा सौ से अधिक फैक्ट्रियां संचालित हो रही है। जब रीको क्षेत्र विकसित हुआ था, उस समय यहां पर ज्यादा आबादी क्षेत्र विकसित नहीं थे। मगर वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड की बड़ी कॉलोनी, खुंजा, सैक्टर बारह, सिविल लाइन आदि आबादी क्षेत्र विकसित हो गए हैं। रीको क्षेत्र में नियम विरुद्ध कई फैक्ट्रियां संचालित होने के कारण ्रलगातार प्रदूषण फैल रहा है। नागरिकों की मांग है कि फैक्ट्रियां नियमों के दायरे में संचालित होगी तो निश्चित ही प्रदूषण कम होगा। मगर हालात ऐसे हैं कि कई फैक्ट्रियां नियम विरुद्ध तरीके से प्रदूषित पानी खुले में प्रवाहित कर रही है। ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को लेकर कोई भी गंभीरता नहीं दिखा रहा है।
नोटिस तक ही समझते दायित्व
जंक्शन में रीको क्षेत्र में संचालित फैक्ट्रियों के खिलाफ जनता आवाज बुलंद करती है तो जिला प्रशासन केवल नोटिस जारी करने तक ही खुद का दायित्व समझता है। तीन-चार वर्ष पहले तत्कालीन जिला कलक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने कुछ फैक्ट्रियों को सीज करने की कार्रवाई भी की थी। इसके बाद उद्योगपति ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को लेकर गंभीर नजर आए थे। मगर कलक्टर के तबादले के बाद ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी अधरझूल में लटक गया।

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