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हनुमानगढ़

खजूर बागों में खतरनाक कीट के फैलने से किसानों के उड़े होश

बीते बरसों में जिले के खजूर बागों में मीठे फल खूब लगते रहे हैं। इस बीच कुछ दिन पहले जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित एक बाग में ‘ रेड प्लाम विविल ’ कीट के फैलने से किसानों के होश उड़ गए हैं। बागे में लगे हाथी जैसे खजूर पेड़ों को उक्त कीट कुछ ही दिनों में चट कर जाते हैं।

हनुमानगढ़Apr 12, 2024 / 04:32 pm

Kamlesh Sharma

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हनुमानगढ़। बीते बरसों में जिले के खजूर बागों में मीठे फल खूब लगते रहे हैं। इस बीच कुछ दिन पहले जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित एक बाग में ‘ रेड प्लाम विविल ’ कीट के फैलने से किसानों के होश उड़ गए हैं। बागे में लगे हाथी जैसे खजूर पेड़ों को उक्त कीट कुछ ही दिनों में चट कर जाते हैं।

संभावित नुकसान को देखते हुए सभी खजूर उत्पादक किसानों को विभाग की ओर से सतर्क कर दिया गया है। फिलहाल बीकानेर से आई टीम ने एक बार खजूर के पौधों का उपचार कर किसानों को राहत दी है। साथ ही हर पौधे का हर दिन निरीक्षण करके इसकी देखभाल करने की सलाह दी है। ताकि कीट का असर दोबारा नजर आने पर तत्काल उसे नियंत्रित किया जा सके।

जानकारी के अनुसार जिले में करीब आठ सौ बीघे में खजूर बाग लगे हैं। खजूर का पौधा बहुत कठोर जलवायु, कीट/ रोग रहित तथा कम गुणवत्ता की भूमि/ पानी में पनपने वाला होता है। लेकिन खजूर में एक कीड़ा रेड प्लाम विविल तबाही मचा रहा है। जहां भी यह कीट फैलता है, वहां हाथी और चिंटी की कहानी को बयां करता है। यह कीट खजूर जैसे बड़े पेड़ को भी कुछ ही दिनों में चट कर जाता है और पेड़ धराशायी होकर गिर जाता है।

इसी तरह का प्रकोप जिले में सतीपुरा के पास 49 एनजीसी में देखा गया है। इस बाग में करीब तीस प्रतिशत तक पौधों को नुकसान पहुंचने की बात अधिकारी कह रहे हैं। कृषि विभाग व उद्यान विभाग के अफसरों की मानें तो उक्त कीट गुजरात व महाराष्ट्र में देखा जाता रहा है। इस बार राजस्थान के कुछ हिस्सों में इसका प्रकोप नजर आया है। लेकिन प्रारंभिक अवस्था में ही इसकी पहचान होने पर इसका नियंत्रण कर रहे हैं। ताकि खजूर बागों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचे।

यूं होती है खजूर की खेती
जिले में जिस तरह से अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, उसे देखते हुए खजूर की खेती सुरक्षित मानी जाती है। इस पर बरसात व तेज तापमान का ज्यादा असर नहीं होता है। रोग व कीड़े भी इसमें ज्यादा नहीं लगते। एक हैक्टेयर में कुल 156 पौधे लगते हैं। इसमें 148 मादा व आठ पौधे नर के लगते हैं। जिले में प्रति पौधा 80 किलो से 160 किलो तक उत्पादन हो रहा है। औसतन पचास से साठ रुपए प्रति किलो भाव रहते हैं।

इस वक्त खजूर के पेड़ों पर फूल खिल गए हैं। अगस्त तक फल तैयार होकर बाजार में आएंगे। गत बरसों में बंग्लादेश भी खजूर गया था। दक्षिण के राज्यों में इसकी खूब मांग रहती है। कोरोना काल गुजरने के बाद अब यूरोपियन व खाड़ी देशों में खजूर की सप्लाई होने की उम्मीद है। थोक में करीब 70 रुपए प्रति किलो तक किसानों को इसके रेट मिल रहे हैं। जिले में लाल व पीले रंग के खजूर की खेती हो रही है। बरही व खुलेजी किस्म के खजूर की खेती के लिए हनुमानगढ़ की आबोहवा को कृषि अधिकारी बेहद अनुकूल मान रहे हैं।

फैक्ट फाइल…..
हनुमानगढ़ जिले में करीब 800 बीघे में खजूर के बाग लगे हुए हैं।

एक हैक्टेयर में कुल 156 पौधे लगते हैं। इसमें 148 मादा व आठ पौधे नर के लगते हैं।

जिले में प्रति पौधा 80 किलो से 160 किलो तक उत्पादन हो रहा है।

जिला मुख्यालय के नजदीक सतीपुरा के पास खजूर बाग में मिले कीट के प्रकोप से 30 प्रतिशत तक पौधे खराब हो गए हैं।


किसानों को किया सतर्क
जिले में खजूर की अच्छी खेती हो रही है। इस बार जिला मुख्यालय के नजदीक एक बाग में रेड प्लाम विविल कीट का प्रकोप देखा गया है। विभागीय टीम ने बाग का निरीक्षण करके पौधों को उपचारित कर दिया है। खजूर उत्पादक किसानों को सतर्क कर दिया गया है।

बीआर बाकोलिया, सहायक निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़

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