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हमीरपुर

ठण्ड के आगे जिंदगी की जंग हारा ये गरीब, नहीं थे अंतिम संस्कार के पैसे, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार

मोहल्ले के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा करके उसका अंतिम संस्कार करवाया…

हमीरपुरJan 10, 2018 / 01:14 pm

नितिन श्रीवास्तव

Man died due to winter in Hamirpur UP hindi news

ठण्ड के आगे जिंदगी की जंग हार गया ये गरीब, नहीं थे अंतिम संस्कार के पैसे, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार

हमीरपुर. हमीरपुर जिले में पड़ रही भीषण ठंड और कोहरे ने एक और गरीब को अपना शिकार बना लिया है। जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते 45 साल के राजा विश्वकर्मा की रात में सर्दी लगने से मौत हो गई। मृतक इतना गरीब था कि उसके अंतिम संस्कार तक का इंतजाम नहीं हो सका। जिसके बाद मोहल्ले के लोगों ने आपस में चंदा इकट्ठा करके उसका अंतिम संस्कार करवाया।
नहीं था उसका मकान

हमीरपुर जिला मुख्यालय के कालपी चौराहे निवासी वृद्ध बढ़ई राजा के पास उसका अपना मकान तक नहीं है। वह पल्ली, बरसाती लगाकर अपनी बूढ़ी मां के साथ रह रहा था। उसके कई बार गुहार लगाने के बाद भी जिला प्रशासन ने उसकी सुध नहीं ली। नतीजतन रात में सोते समय वह मौत में मुंह में समा गया।
नहीं थे अंतिम संस्कार के पैसे

सर्दी लगने से जिस वृद्ध बढ़ई की मौत हुई उसके घर में दीवार न होने से टिन-टट्टर की झोपड़ी बनाकर वह रहता था। अब उसकी मौत के बाद, अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में जिला प्रशासन के बजाय मदद करने के लि मोहल्ले के लोग आगे आए और किसी ने लकडी दी तो, कोई अन्य सामग्री। लेकिन किसी नेता या प्रशासन ने मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया। बिना किसी सरकारी सहायता के मृतक के मोहल्ले वासी उसका अंतिम संस्कार करवाने में जुटे।
बूढ़ी मां के साथ लड़ रहा था जिंदगी की जंग

नौबस्ता तिराहे से पटकाना मोहल्ले के अंदर जाने वाली सड़क के किनारे टूटी-फूटी झोपड़ी में बूढ़ी मां के साथ रहने वाले राजा विश्वकर्मा (45 वर्ष) के पास न तो ओढ़ने-बिछाने के कपड़े थे और न ही दो वक्त की रोटी का ठीक से जुगाड़। उसने अपनी इसी झोपड़ी में किनारे भट्टी लगा रखी थी। जिसे जलाकर वह लोहे के औजारों की मरम्मत करने के साथ ही बढ़ईगिरी का काम करता था। इस काम में होने वाली आमदनी से ही उसके परिवार का भरण पोषण हो रहा था। सर्दी के मौसम में काम का टोटा था। पैसों का संकट मुह बाए खड़ा था। राजा की झोपड़ी का आलम ये था कि इसमें चारों तरफ से हवा आती है। झोपड़ी में चारो तरफ फटे पुराने कपड़े बांधकर वह किसी तरह सर्दी से बचने की जद्दोजहद में था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका। दो दिन पूर्व राजा विश्वकर्मा को सर्दी लगी और फिर उसकी हालत बिगड़ती चली गई, जिसके बाद उसकी मौत हो गई।

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