ग्वालियर। चंबल घाटी की पहचान सिर्फ बीहड़ों से ही नही बल्कि इसमें पनपने वाले आतंक या यू कहें की मजबूरी में बागी बनने पर मजबूर हुए लोगों से भी है। डकैतों का गढ़ कही जाने वाली घाटी में एक से बढ़कर एक डकैतों के गिरोह ने जन्म लिया। जिनके कई नाम तो ऐसें हैं जिनका देश के कौने-कौने रहने वाले जानते हैं। चंबल के डकैत पर तो वॉलीबुड में मूवी भी बन चुकी हैं। जिन्हे लोगो नें बहुत पसंद किया।
मान सिंह
डकैत मानसिंह ने वर्ष 1935 से 1955 के बीच 1, 112 डकैतियों की वारदातों को अंजाम दिया। उसने 182 हत्याएं की, जिनमें 32 पुलिस अधिकारी थे। मानसिंह राजपूत घराने से ताल्लुक रखता था। जिसके चलते घर से ही कई राजपूत रिश्तेदारों, परिवारजनों के सहयोग से ही एक बड़ी गैंग मान सिंह ने तैयार कर ली थी। एक समय ऐसा था की पूरे चंबल क्षेत्र पर मानसिंह का दबदबा था। मान सिंह को स्थानीय लोग दयावान मानते थे, जो गरीबों की सेवा में तत्पर रहता था। उसकी छवि रॉबिनहुड सरीखी थी, जो अमीरों को लूट कर धन गरीबों में बांट दिया करता था। वर्ष 1955 में सेना के जवानों ने मानसिंह और उसके पुत्र सुबेदार सिंह की गोली मार दी। यहां के खेरा राठौड़ इलाके में मान सिंह का एक मंदिर है, जहां उसकी पूजा की जाती है।
पान सिंह तोमर
पान सिंह तोमर पान सिंह तोमर पर हाल ही में एक फिल्म भी बनी है। जिसमें पानसिंह के एक नेशनल लेवल के धावक से लेकर बागी बनने तक की कहानी को बताया गया। तोमर के डकैत बनने के पीछे जमीन विवाद की एक कहानी है।
डकैत बनने से पहले पान सिंह तोमर रुड़की स्थित बंगाल इजीनियर्स में सुबेदार के पद पर तैनात था। बाद में उसका चयन भारतीय सेना के लिए हो गया। 3 हजार मीटर के बाधा दौड़ को 9 मिनट और 4 सेकेन्ड में पूरा करने का रिकॉर्ड पान सिंह तोमर के नाम था, जिसे 10 सालों तक तोड़ा नहीं जा सका था।
सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद जब तोमर अपने गांव पहुंचा, तो वहां उसका विवाद बाबू सिंह के साथ हो गया। बाबू उसके परिवार का व्यक्ति था। जिसने उसके हिस्से की जमीन पर कब्जा कर लिया था। जिसके चलते उसका बाबूसिंब से विवाद हो गया। तोमर ने बाबू सिंह की हत्या कर दी और खुद को बागी घोषित कर दिया। बाद में 60 सदस्यीय पुलिस दल के साथ हुई मुठभेड़ में पान सिंह तोमर अपने 10 साथियों के साथ मारा गया।
फूलन देवी
भारतीय डकैतों की लिस्ट फूलन देवी के बगैर पूरी नहीं हो सकती। फूलन का जन्म एक गरीब मल्लाह के परिवार में हुआ था। फूलन देवी की शादी बचपन में ही हो गई थी। बचपन में ही उसकी शादी उससे 12 वर्ष बड़े एक व्यक्ति के साथ ब्याह दी गई थी। फूलन देवी की अपने पति से नहीं बनती थी। जिसके चलते कई बार वह अपने पति से अपमानित कर घर से भगा दी गई।
बहू से परेशान हो कर उसके ससुराल जनों ने फूलन देवी को उसके मायके भेज दिया। फूलन देवी करीब 16 वर्ष की थी तब अपने पति से लड़ाई हो जाने पर पति को चाकू मार कर घायल कर दिया था। वहां से भागी अपमानित फूलन देवी एक डकैतों के गिरोह से जुड़ गई। फूलन देवी ठाकुर बहुल्य गांव में रहती थी। ठाकुरों से एक मुठभेड़ के दौरान फूलन को बंदी बना लिया गया और तीन सप्ताह तक कई लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया। फूलन देवी ने इसका बदला लिया। उसने एक रात 22 ठाकुरों की गोली मार कर हत्या कर दी। वर्ष 1983 में फूलन ने समर्पण कर दिया। वर्ष 1996 में फूलन देवी राजनीति से जुड़ गईं। वर्ष 2001 की 25 जुलाई को दिल्ली में तीन लोगों ने उसकी हत्या कर दी।
जगजीवन परिहार
उत्तर प्रदेश के कोरेला गांव में जगजीवन परिहार ने एक ब्राह्मण परिवार के मुखिया की हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद वह डकैत सलीम गुर्जर के गिरोह के साथ जुड़ गया। कुछ दिनों के बाद सलीम के साथ अनबन होने की वजह से परिहार ने अपना एक अलग गिरोह बना लिया। अपना गिरोह बनाने से पहले परिहार मध्य प्रदेश पुलिस के लिए मुखबिर का काम भी करता था। परिहार को दबोचना स्थानीय पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती भरा काम था, क्योंकि उसे ग्वालियर और भिंड क्षेत्र के लोगों का समर्थन प्राप्त था। जगजीवन परिहार ने प्रण लिया था कि वह अपने जीवनकाल में 101 लोगों की हत्या करेगा। वर्ष 2007 के मार्च महीने में एक मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने परिहार को मार गिराया। इस घटना में एक इन्सपेक्टर की मौत भी हो गई थी।
रामबाबू और दयाराम गडडिया
रामबाबू और दयाराम गडडिया भाई थे, जो बाद में कुख्यात डकैत बन गए। यह गिरोह इस सफाई के साथ काम करता था कि पुलिस को यह तक नहीं पता था कि इसके आखिर कितने सदस्य हैं। माना जाता है कि वर्ष 1997 और 1998 में रघुबीर गड़रिया ने इस गिरोह को बनाया था। दरअसल, रघुबीर की पत्नी उसे छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति के साथ रहने चली गई थी।
रघुबीर ने अपनी पत्नी और उसके प्रेमी की हत्या कर दी और अपने भतीजों रामबाबू, दयाराम, विजय, प्रताप और गोपाल के साथ मिलकर एक गिरोह बना लिया। वर्ष 1999 में दौरान गोली लगने के वजह से रघुबीर मारा गया। । वर्ष 2000 में इस गिरोह के कई सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़ गए, लेकिन ये लोग 2001 में एक जेल से दूसरे जेल ले जाते समय पुलिस को झांसा देकर भाग निकले। वर्ष 2006 के अगस्त महीने में एक मुठभेड़ के दौरान दयाराम की मौत हो गई। वहीं वर्ष 2007 में रामबाबू एक मुठभेड़ के दौरान मारा गया।
निर्भय गुज्जर
खनन माफियाओं से मुरैना में स्थित बटेश्वर मंदिर को बचाने में निर्भय गुज्जर का अहम योगदान रहा है। चम्बल घाटी के इलाके के करीब 40 गावों में निर्भय सिंह गुज्जर ने एक समानान्तर सरकार बना रखी थी। उसके सिर पर सरकार ने 2.5 लाख रुपए का इनाम रखा था।
वर्ष 2005 के 8 नवंबर को पुलिस के साथ एक मुठभेड़ के दौरान गुज्जर की मौत हो गई। निर्भय गुज्जर को न केवल कई आपराधिक वारदातों के लिए जाना जाता था, बल्कि उसके गिरोह में कई खूबसूरत लड़कियां सदस्य थीं।
इन दस्यु संदरियों में सीमा परिहार (बिग बॉस फेम), मुन्नी पांडे, पार्वती उर्फ चमको, सरला जाटव और नीलम प्रमुख थीं।
सीमा परिहार (बिग बॉस फेम )
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