तानसेन समारोह की शुरुआत गमक के साथ 25 दिसंबर को होने जा रही है। 26 दिसंबर को समारोह का शुभारंभ होगा। समारोह में कुल 9 संगीत सभाएं होंगी। पहली 7 सभाएं सुर सम्राट तानसेन की समाधि स्थल पर आकर्षक मंच पर सजेंगीं। आठवीं सभा 30 दिसंबर को सुर सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में एवं नौवीं सभा ग्वालियर किले पर आयोजित होगी।
मितावली, बारादरी, बटेसर, सास बहू मंदिर, सूर्य मंदिर, अस्सी खंबे की बावड़ी,
शिवपुरी की छत्री। औरंगजेब ने किया था सिद्धनाथ मंदिर को खंडित
भगवान शिव की नगरी ओंकारेश्वर में यह मंदिर एक द्वीप के पठारी भाग में स्थित है। इसे एक विशाल चबूतरे से आधार दिया गया है, जिसके चारों ओर विभिन्न मुद्राओं में बहुत से हाथियों की मूर्तियां खूबसूरती के साथ गढ़ी गई हैं। मंदिर के अंदर जाने के लिए चारों ओर से प्रवेश की व्यवस्था है। साथ ही एक भव्य सभा मण्डप भी बना हुआ है। हर सभा मण्डप में पत्थर से बने हुए 14 फीट ऊंचाई के 18 खम्बे बने हैं और इन पर मनोहारी कलाकृतियां भी बनी हुई हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है, जब यह मंदिर अपने सही और पूर्ण रूप में होगा तो वह कितना भव्य और सुंदर दिखता होगा। मुगल शासक औरंगजेब ने खजाने की खोज में इस मंदिर को खंडित कर दिया था।
विदेशी कलाकारों को दिखानी होगी आरटीपीसीआर रिपोर्ट, मास्क लगाकर ही मिलेगी एंट्री तानसेन समारोह की तैयारियों को लेकर संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना ने बैठक हुई। इसमें 8 जिले के प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। कला यात्रा को लेकर रणनीति तय की गई। विदेशों से आने वाले कलाकारों को आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखानी होगी। कार्यक्रम स्थल पर थर्मल स्क्रीनिंग होगी और रसिकों को मास्क लगाकर ही प्रवेश मिलेगा।
– कला यात्रा महाराज बाड़ा और किला गेट से निकलकर हजीरा पहुंचेगी।
– 8 जिलों के लोक कलाकार प्रस्तुति देते चलेंगे। इसके पहले वे फूलबाग पर एकत्रित होंगे।
– सिटी होटल्स में फूड फेस्टिवल होंगे।