बेहतर परफॉर्मेंस के लिए सोशल मीडिया की लें मदद
जेयू के दूरस्थ शिक्षण संस्थान में सेमिनार
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ग्वालियर. जो लोग जॉब में हैं या फि र किसी अन्य कारण से रेगुलर क्लास अटेंड नहीं कर सकते, उनके लिए डिस्टेंस कोर्स बेहतरीन विकल्प है। जहां तक सेमेस्टर प्रणाली की बात है, तो इसे सबको समझने की जरूरत है। बेहतर रिजल्ट के लिए इन्फॉर्मेशन शेयर करें। इसे वॉट्सएप ग्रुप बनाकर भी किया जा सकता है, जिसमें स्टूडेंट्स के साथ टीचर्स भी एड हों। यह बात जीवाजी यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कही। वह जेयू के दूरस्थ शिक्षण संस्थान में ‘एनुअल सिस्टम वर्सेस सेमेस्टर सिस्टम इन डिस्टेंस मोड ऑफ एजुकेशन’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रही थीं। इस दौरान एक्स्पट्र्स ने डिस्टेंस कोर्स के साथ-साथ सेमेस्टर सिस्टम के फ ायदे भी बताए। इस अवसर पर डॉ. केशव सिंह गुर्जर मौजूद रहे। अध्यक्षता प्रो. एके श्रीवास्तव ने की।
व्यवहारिक कठिनाइयों का करें निराकरण
यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट विभाग के हेड प्रो. उमेश होलानी ने कहा कि डिस्टेंस मोड कोर्स में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों का निराकरण जरूरी है। इसके लिए टीचर्स को ध्यान देना होगा। डॉ. विवेक बापट ने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली में साल में दो बार एग्जाम होने से पढ़ाई पर फ ोकस अच्छे से किया जा सकता है। हर छह माह में एग्जाम होने से पढ़ाई की रेगुलर्टी बनी रहती है।
ये विचार भी आए
एक साथ अधिक विषय पढऩे से रिजल्ट पर निगेटिव असर पड़ता है। सेमेस्टर प्रणाली में वे सब्जेक्ट ब्रेक होने से उतनी समस्या नहीं आती।
अधिकतर विश्वविद्यालयों में डिस्टेंस एजुकेशन में प्राफेश्नल प्रोग्राम सेमेस्टर वाइज हैं। जेयू के डिस्टेंस में भी शुरू किया जाना चाहिए।
सेमेस्टर सिस्टम में असाइनमेंट समय से मिलने से जिम्मेदारी तय हो जाती है।
छह महीने की तैयारी से रैंकिंग में सुधार होने में मदद मिलती है।
सेमेस्टर प्रणाली में पढ़ाई की निरंतरता बनी रहने से विषय की अच्छी नॉलेज हो जाती है, जबकि एनुअल सिस्टम में विषयों का ओवर लोड होने से स्टडी की क्वालिटी पर असर पड़ता है।
कई स्टूडेंट्स दूरस्थ क्षेत्रों में रहते हैं, जहां इंटरनेटर समस्या होती है। ऐसे में एक को-ऑर्डिनेटर होना चाहिए, जो उन छात्रों को पूरी जानकारी दे सके।
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