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गजकेसरी योग में विराजेंगे श्रीजी, इस दिन से शनिदेव की होगी ऐसी चाल, ऐसे बनने लगेंगे बिगड़े काम पर्युषण महापर्व के दौरान इन मंदिरों में भगवान का अभिषेक किया जाता है और पूजा-अर्चना के लिए जैन समाज के लोग भारी संख्या में आते हैं। पर्युषण महापर्व के दौरान भक्तगण नियमों का पालन करते है। साथ ही दशलक्षण धर्म की पूजा भी होती है। इस पर्व के दौरान सुबह के समय पूजा प्रवचन व शाम को धामिक्र कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यहां 37 से अधिक मंदिर है जो कि बड़े ही सुुंदर ढंग से बने हुए हैं। यहां कीर्ति स्तंभय मंदिर भी बना हुआ है। पर्यूषण पर्व पर क्षमत्क्षमापना या क्षमावाणी का कार्यक्रम भी होता है।
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इस पहाड़ पर बने हैं 108 मंदिर,साधना में लीन रहते है मुनि यह सभी के लिए प्रेरणास्रोत माना जाता है। यह पर्यूषण पर्व के समापन पर आता है।
गणेश चतुर्थी या ऋषि पंचमी को संवत्सरी पर्व मनाया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि इस दिन लोग उपवास रखते हैं और स्वयं के पापों की आलोचना करते हुए भविष्य में उनसे बचने का संकल्प लेते हैं। इस दिन चौरासी लाख योनियों में विचरण कर रहे समस्त जीवों से क्षमा मांगते हुए यह कहा जाता है कि उनकी किसी से कोई शत्रुता नहीं है। दिगंबर जैन समाज का पर्युषण पर्व २६ अगस्त से शुरू होगा जो कि 27 सितंबर तक मनाएगा। उत्तम क्षमा धर्म से प्रारंभ होकर उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा की जाएगी। साथ ही सामूहिक क्षमावाणी का कार्यक्रम होगा।