ग्वालियर। अपराधों की सजा भुगत रहे कैदी जेल से सभ्य नागरिक बनकर निकलें, इसके लिए जेल प्रशासन ने जेल के अंदर ही छोटा रेडियो स्टेशन (इंटरनल एड्रेस सिस्टम) खोला है।
यहां हर रोज दोपहर २ से ३ बजे तक एक घंटे का कार्यक्रम चलता है। फरमाइश गीत सुनने के लिए कैदी अपनी-अपनी बैरक के इंचार्ज को पर्ची में गाना लिखकर देते है। इंचार्ज उस पर्ची को आरजे के पास पहुंचा देता है, फिर उनका पसंदीदा गाना पूरे जेल परिसर में गूंजता है। जेल में अंडर ट्रायल व सजायाफ्ता वाले करीब २७०० बंदी है। हर बंदी के कानों तक मनोरंजन की बातें पहुंचे, इसलिए जेल परिसर में ९० स्पीकर लगाए गए हैं।
सातों दिन कुछ नया
कैदियों को हर दिन नया सुनने और सीखने को मिलता है, जिसमें फरमाइशी गीत, कानून की जानकारी, कविता, भजन, जेल के सामान्य नियमों की जानकारी शािमल है।
अब नहीं आते गलत विचार
सिस्टम ऑपरेट कर रहा आशीष भदौरिया अपहरण के मामले में जेल मे बंद है। उसने बताया पहले मन में गलत विचार आते थे, लेकिन रेडियो स्टेशन शुरू होने से ज्ञान की बातें सीखने को मिल रही है। साथ ही मनोरंजन भी हो रहा है।
ट्रेनिंग देकर तैयार किए गए आरजे
कैदियों में से कुछ को छांटकर आरजे बनाया गया, जिन्हें बकायदा ७ दिन की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग शहर के आरजे ने जेल में जाकर दी।
नई पहल पसंद आ रही है
आरजे का रोल अदा कर रहा अंकुर अपनी चुलबुली बातों से सारे कैदियों का मनोरंजन करता है। उसने बताया यह नई शुरुआत सारे कैदियों को पसंद आ रही है।
“बंदियों को जागरुक करने के लिए यह शुरुआत की गई है, जिससे उनका ज्ञानवर्धन और मनोरंजन हो सके।“
दिनेश नरगावे, जेल अधीक्षक
वहीं दूसरी ओर बंदियों से मात खा गए फरेबी डॉक्टर
एशिया कप में पाकिस्तान पर जीत का जादू जेल के अंदर भी सिर चढ़कर बोल रहा है। रविवार को जेल के मैदान पर बंदियों और पीएमटी फरेब में पकड़े गए डॉक्टरों के बीच गेंद और बल्ले की जंग हुई। इसमें सजायाफ्ता बंदियों ने फरेबी डॉक्टरों को शिकस्त देकर जेल ट्रॉफी पर कब्जा कर लिया। जेल के मैदान में फर्जी डॉक्टरों की टीम की कप्तानी दीपक यादव ने की, जबकि सजायाफ्ता बंदी आजीवन कारावास के आरोपी सीतू की अगुवाई में मैदान में उतरे। लॉन टेनिस की बॉल से १०-१० ओवर के मैच में पहले बल्लेबाजी फर्जी डॉक्टर्स की टीम ने की। १० ओवर में १०६ रन का लक्ष्य तय किया, जिसे सजायाफ्ता बंदियों ने सिर्फ ७.५ ओवर में पूरा किया।
जेल अधीक्षक दिनेश नरगांवे ने कहा, मैच में सजायाफ्ता की टीम जीती। बंदियों ने माना, ऐसे आयोजन से उनके बीच सौहार्द बढ़ता है।
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